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अंगिका अकादमी के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत

संवाददाताभागलपुर : अखिल भारतीय साहित्यकार परिषद की ओर से इशाकचक स्थित अमितालय में रविवार को काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी. उमाकांत भारती की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि संजय व उमाकांत अंशुमाली थे. संस्थापक महेंद्र प्रसाद निशाकर रचित सरस्वती वंदना से शुरुआत हुई. संजय भागलपुरी ने ‘लुप्त हो रही धरा से गंगा’, डॉ भूपेंद्र मंडल ने […]

संवाददाताभागलपुर : अखिल भारतीय साहित्यकार परिषद की ओर से इशाकचक स्थित अमितालय में रविवार को काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी. उमाकांत भारती की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि संजय व उमाकांत अंशुमाली थे. संस्थापक महेंद्र प्रसाद निशाकर रचित सरस्वती वंदना से शुरुआत हुई. संजय भागलपुरी ने ‘लुप्त हो रही धरा से गंगा’, डॉ भूपेंद्र मंडल ने ‘मलबे की चित्कार’, गणेश गणपति ने ‘जख्म से दर्द रिसता है’, उमाकांत अंशुमाली ने ‘राष्ट्र का सम्मान है तो जिंदा’ व प्रो नवीन निकुंज ने ‘जाति-धर्म की दीवारों में कब तक कैद रहेंगे’ कविता सुनायी. सभी ने अंगिका अकादमी के गठन के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया. संचालन प्रो नवीन कुंज व धन्यवाद ज्ञापन महेंद्र ने किया.

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