कहलगांव. एनटीपीसी के कार्यपालकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे इसे निजीकरण से बचाया जाये. एनटीपीसी के कार्यपालकों को यदि कहीं से खतरा है, तो एनटीपीसी के प्रबंधन से ही. ये बातें एनटीपीसी के कार्यपालक संगठन नेफी के केंद्रीय महासचिव बीके शर्मा ने कहीं. वह कहलगांव के सुजाता प्रेक्षागृह दीप्तिनगर में आयोजित नेफी के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इसके पूर्व नेफी के संस्थापक सदस्य बीके त्रिपाठी ने नेफी की स्थापना के इतिहास की जानकारी दी. नेफी कहलगांव के महासचिव विजय कुमार ने भी एनटीपीसी के निजीकरण के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बात कही. नेफी के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश पांडेय ने कहलगांव को नेफी की कर्मभूमि बताया. उन्होंने कहा कि यहां से जो भी लड़ाई लड़ी गयी, उसमें शानदार जीत मिली है. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी की रक्षा करना, इसके झंडे को बुलंद करना हमारा लक्ष्य है. कार्यपालकों ने विभिन्न समस्या नेफी काउंसिल के समक्ष रखी. काउंसिल के पदाधिकारियों ने इनके निदान के रास्ते बताये. एके झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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एनटीपीसी के निजीकरण को रोकना चुनौती : नेफी
कहलगांव. एनटीपीसी के कार्यपालकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे इसे निजीकरण से बचाया जाये. एनटीपीसी के कार्यपालकों को यदि कहीं से खतरा है, तो एनटीपीसी के प्रबंधन से ही. ये बातें एनटीपीसी के कार्यपालक संगठन नेफी के केंद्रीय महासचिव बीके शर्मा ने कहीं. वह कहलगांव के सुजाता प्रेक्षागृह दीप्तिनगर में आयोजित नेफी […]
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