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डॉल्फिन ट्रैकर के साथ गंगा की छानी खाक, खाली हाथ लौटे वापस

भागलपुर : बरारी सीढ़ी घाट पर रविवार को मृत डॉल्फिन मिलने के बाद मंगलवार को फॉरेस्टर बीके पाठक के नेतृत्व में गंगा में मछुआरों के खिलाफ छापेमारी की. इस दौरान दो घंटे तक आठ डॉल्फिन ट्रैकर के साथ चार वन कर्मी नाव से बरारी सीढ़ी घाट से सबौर तक गये, लेकिन खाली हाथ वापस लौट […]

भागलपुर : बरारी सीढ़ी घाट पर रविवार को मृत डॉल्फिन मिलने के बाद मंगलवार को फॉरेस्टर बीके पाठक के नेतृत्व में गंगा में मछुआरों के खिलाफ छापेमारी की. इस दौरान दो घंटे तक आठ डॉल्फिन ट्रैकर के साथ चार वन कर्मी नाव से बरारी सीढ़ी घाट से सबौर तक गये, लेकिन खाली हाथ वापस लौट आये.
सूत्रों की मानें तो वन विभाग के अधिकारियों ने डॉल्फिन पकड़ने वाले मछुआरों की पहचान भी कर ली है, उसी की तलाश में यह अभियान चलाया गया, लेकिन वे पकड़ में नहीं आये.
वन विभाग के नाक के नीचे मर रही डॉल्फिन, 65 किलो मीटर का क्या?
बरारी में रविवार को मृत डॉल्फिन के मिलने पर डॉल्फिन विशेषज्ञ डॉ प्रोफेसर सुनील चौधरी ने कहा कि जब वन विभाग के नाक के नीचे डॉल्फिन मर रही है, तो 65 किलोमीटर में फैले डॉल्फिन अभयारण्य का क्या होगा.
उन्होंने बताया कि वन और मत्स्य विभाग के बीच समन्वय का अभाव है. मत्स्य विभाग कहता है कि गंगा में जाल डालना वैध है, लेकिन यह गलत है. किसी भी स्थिति में अभयारण्य क्षेत्र में डॉल्फिन के आवास से छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है.

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