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पानी में गये सात करोड़
पेयजल के लिए लगे 61 बोरिंग में कई खराब भागलपुर : शहर में पेयजल सप्लाइ के लिए नगर निगम व बिहार राज्य जल पर्षद द्वारा कराये गये अधिकांश बोरिंग फेल हो गये. इन बोरिंगों के लिए खर्च की गयी करीब सात करोड़ 32 लाख रुपये की राशि भी पानी में ही चली गयी. नगर निगम […]
पेयजल के लिए लगे 61 बोरिंग में कई खराब
भागलपुर : शहर में पेयजल सप्लाइ के लिए नगर निगम व बिहार राज्य जल पर्षद द्वारा कराये गये अधिकांश बोरिंग फेल हो गये. इन बोरिंगों के लिए खर्च की गयी करीब सात करोड़ 32 लाख रुपये की राशि भी पानी में ही चली गयी. नगर निगम के सभी 51 वार्डो में निर्मित 61 बोरिंग में से अधिकांश फेल हो चुके हैं या बालू उगल रहे हैं. जिनकी स्थिति थोड़ी-बहुत ठीक है, वह भी पानी देने में हांफ रहा है. खराब बोरिंग को ठीक कराने के लिए नगर निगम भी कोई कवायद नहीं कर रहा है. गरमी को देखते हुए अभी से ही कई पार्षदों ने अपने-अपने वार्डो में वैकल्पिक व्यवस्था
के लिए निगम में टैंकर के लिए आवेदन दे दिया है.
बिहार राज्य जल पर्षद द्वारा नगर निगम क्षेत्र में 2006-07 के दौरान 30 बोरिंग का निर्माण कार्य शुरू किया गया. 2008 से 2012 तक निगम को सभी बोरिंग निगम को हैंडओवर किया गया, लेकिन फिलहाल सभी बोरिंग की स्थिति खराब हो गयी है. इनमें से अधिकांश बोरिंग बंद है. जो चालू भी हैं तो वह बालू ही उगल रहे हैं. नगर निगम की डिप्टी मेयर के वार्ड में भी जल पर्षद द्वारा लगाये गये बोरिंग से बालू निकल रहा है. दूसरी ओर, नगर निगम द्वारा लगाये गये 31 बोरिंग में से आठ बोरिंग बंद है तो कई बोरिंग की स्थिति ठीक नहीं है. निगम के अनुसार एक बोरिंग की आयु सीमा लगभग 12 साल से अधिक होनी चाहिए.
निगम के बोरिंग की स्थिति ठीक नहीं . नगर निगम की बोरिंग की स्थिति ठीक नहीं है. वार्ड 40 में एक घंटा बोरिंगचलने के बाद पानी बालू निकलने लगता है. कई बोरिंग में तो हमेशा मोटर जल जाता है, लेकिन उसे जल्द ठीक नहीं किया जाता है. वार्ड एक के पार्षद प्रतिनिधि देवाशीष बनर्जी, पार्षद मो मेराज सहित कई पार्षदों का कहना है कि ना जल पर्षद ना ही निगम के बोरिंग की स्थिति ठीक है.
निगम की 10 बोरिंग चार साल से खराब . नगर निगम की 10 बोरिंग पिछले चार साल से खराब है, लेकिन निगम इसकी सुधि नहीं ले रहा है. मेयर व नगर आयुक्त के प्रयास से इसके जगह नये बोरिंग निर्माण की प्रक्रिया चल रही है. योजना शाखा प्रभारी आदित्य जायसवाल ने बताया कि इन जगहों की बोरिंग पिछले चार साल से खराब है. इसकी जगह नये बोरिंग का निर्माण की प्रक्रिया जारी है.
शुरू से ही खराब हो गयी स्थिति
जल पर्षद द्वारा निर्माण कराये गये 30 बोरिंग की स्थिति शुरू से ही खराब है. निगम भी इस बारे में कई बार जल पर्षद के अधिकारियों को शिकायत कर चुका है. जब निगम को जल पर्षद द्वारा बोरिंग को हैंडओवर किया गया था, उसी समय निगम ने इस पर आपत्ति दर्ज करायी थी. वार्ड 33 में तो शुरू होने से पहले ही बोरिंग खराब हो गया. वार्ड पार्षद मो मेराज ने कहा कि जल पर्षद द्वारा यहां एक बोरिंग का निर्माण किया गया था, लेकिन वह कभी चला ही नहीं.
एक के निर्माण में 12 लाख रुपये
एक बोरिंग के निर्माण में लगभग 12 लाख रुपये खर्च किये गये थे. इस हिसाब से जल पर्षद के 30 बोरिंग के निर्माण में लगभग तीन करोड़, 60 लाख रुपये खर्च हुए, जबकि नगर निगम द्वारा बोरिंग पर करीब तीन करोड़ 72 लाख रुपये खर्च किये गये. बोरिंग को पांच सौ फीट डीप किया जाना था, लेकिन बोरिंग की स्थिति को देख कर ऐसा नहीं प्रतीत होता है. एक भी बोरिंग की स्थिति ठीक नहीं है.
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