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अंगिका केवल भाषा नहीं, बल्कि मां के पेट से निकला महामंत्र

– अंगिका प्रचारिणी सभा का गठनफोटो नंबर : आशुतोष जी संवाददाता,भागलपुरअंग सांस्कृतिक भवन में शनिवार को अंगिका कला-साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए अंगिका प्रचारिणी सभा का गठन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता ललित कला अकादमी सदस्य सह समालोचक डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने की. कार्यक्रम का उद्घाटन संग्रहालय के पूर्व अध्यक्ष श्रीकांत भगत ने किया. […]

– अंगिका प्रचारिणी सभा का गठनफोटो नंबर : आशुतोष जी संवाददाता,भागलपुरअंग सांस्कृतिक भवन में शनिवार को अंगिका कला-साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए अंगिका प्रचारिणी सभा का गठन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता ललित कला अकादमी सदस्य सह समालोचक डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने की. कार्यक्रम का उद्घाटन संग्रहालय के पूर्व अध्यक्ष श्रीकांत भगत ने किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए जगतराम साह कर्णपुरी ने कहा कि अंगिका भाषा वर्तमान बिहार के 16 जिले व झारखंड के पांच जिलों में बोली जाने वाली नौ करोड़ लोगों की भाषा है. इसके सही सम्मान के लिए जन-जन में संदेश पहुंचाना होगा. कपिलदेव ने कहा कि अंगिका का साहित्य संपूर्ण रूप ले चुका है. श्रीकांत भगत ने कहा कि अंगिका हमारी आत्मा की आवाज है. डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने कहा कि अंगिका सिर्फ भाषा नहीं, मां के पेट से निकला महामंत्र है. जो महामंत्र करोड़ों लोगों के मुख से संप्रेषित होती है. डॉ अशोक यादव, मृत्युंजय साह, अमरेंद्र दत्तात्रेय, राघवेंद्र सहाय, महेंद्र निशाकर, गौतम सुमन, सीताराम पंडित ने भी विचार व्यक्त किये. इस दौरान तदर्थ समिति का गठन किया गया, इसमें संयोजक जगतराम साह कर्णपुरी, सह संयोजक कपिलदेव व सदस्य ठाकुर अमरेंद्र दत्तात्रेय, महेंद्र मनमौजी, अजय झा, कपिलदेव कृपाला, मो आलिफ, नरेश ठाकुर निराला, सुनील कुमार, रंजन राय, ऐंथोनी बब्सीस को बनाया गया. मौके पर जयंत जलद, मुरारी प्रसाद, गगन राय, अभय भारती आदि उपस्थित थे.

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