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जमीन का किया था एग्रिमेंट : अभिषेक

आरोपी अभिषेक कुमार ने बताया कि उसे और उसके भाई को इस मामले में फंसाया गया है. जिस जमीन की जबरन रजिस्ट्री कराने की बात को लेकर अपहरण का आरोप लगाया जा रहा है, उस जमीन का एग्रीमेंट वर्मा दंपती ने मेरे नाम से किया था. इस का लिखित दस्तावेज मेरे पास है. एग्रीमंेट के […]

आरोपी अभिषेक कुमार ने बताया कि उसे और उसके भाई को इस मामले में फंसाया गया है. जिस जमीन की जबरन रजिस्ट्री कराने की बात को लेकर अपहरण का आरोप लगाया जा रहा है, उस जमीन का एग्रीमेंट वर्मा दंपती ने मेरे नाम से किया था. इस का लिखित दस्तावेज मेरे पास है. एग्रीमंेट के बाद वर्मा दंपति को 3. 61 लाख रुपये भी दिये गये थे. रजिस्ट्री ऑफिस का कर्मचारी बताता है अभिषेक आरोपी अभिषेक अपने आप को रजिस्ट्री ऑफिस का कर्मचारी बताता है. वह रजिस्ट्री ऑफिस में देखा जाता है. इस झांसे में उसने वर्मा दंपती को ले लिया और जमीन हड़पने का सारा ताना-बाना बुना. पावर ऑफ अटॉर्नी के नाम पर सरकार को चपतकरोड़ी की जमीन रजिस्ट्री कराने पर भागलपुर में क्रेता और विक्रेता को लाखों रुपये खर्च करने पड़ेंगे. लेकिन जमीन माफियाओं ने इसका भी काट निकाल लिया है. बंगाल में ले जाकर जमीन बेचने वाले से पावर ऑफ अटॉर्नी (जमीन खरीद-बिक्री की सहमति) बड़े आराम से ले लेते हैं. बंगाल में इसमें मात्र 10 हजार रुपये खर्च होते हैं. पावर ऑफ अटॉर्नी मिलने के बाद आसानी से जमीन को बेचा जा सकता है. उसकी रजिस्ट्री में लाखों रुपये खर्च नहीं होते हैं. इससे सरकार को राजस्व का चूना लग रहा है.

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