13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खरीदारी में गड़बड़ी, जांच शुरू

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सभी 29 अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यो, सभी पीजी विभागाध्यक्षों व सभी वित्त स्वपोषित पाठ्यक्रमों के संयोजकों के कार्यकाल की जांच करायी जायेगी. उक्त अधिकारियों द्वारा संबंधित संस्थान के लिए विभिन्न सामग्री की खरीद में बरते गये नियम व खरीदी गयी सामग्री की उपलब्धता की जांच होगी. 12 अगस्त को सिंडिकेट […]

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सभी 29 अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यो, सभी पीजी विभागाध्यक्षों व सभी वित्त स्वपोषित पाठ्यक्रमों के संयोजकों के कार्यकाल की जांच करायी जायेगी. उक्त अधिकारियों द्वारा संबंधित संस्थान के लिए विभिन्न सामग्री की खरीद में बरते गये नियम व खरीदी गयी सामग्री की उपलब्धता की जांच होगी. 12 अगस्त को सिंडिकेट की बैठक में गठित कमेटी ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. प्राचार्यो का 2008 से, पीजी हेड व संयोजकों का 2010 से कार्यकाल की जांच होगी. जांच के लिए जो कमेटी गठित की गयी है, उसमें डॉ सुरेंद्र अनल, डॉ गुरुदेव पोद्दार व डॉ सत्यव्रत सिंह शामिल हैं. जांच के बाद कमेटी सिंडिकेट को रिपोर्ट करेगी, फिर सिंडिकेट इस पर कार्रवाई तय करेगा.

जांच प्रक्रिया शुरू करने के लिए गत 16 व 20 अगस्त को कमेटी की दो बैठक हुई थी. कुछ कॉलेजों के प्राचार्य के कार्यकाल में अलमारी, कुरसी, टेबल, कंप्यूटर आदि की खरीदारी में गड़बड़ी की सूचना मिली थी. इसके बाद जांच कराने का निर्णय लिया गया था और फिर सिंडिकेट ने जांच शुरू करने के निर्णय पर मुहर भी लगा दिया. सूत्र बताते हैं कि खरीद में निविदा की जांच की जायेगी. खरीदी गयी सामग्री उपलब्ध है या नहीं, इसकी जांच की जायेगी. इससे यह भी पता चल सकेगा कि सामग्री की खरीद नियम के मुताबिक हुई या मनमाने ढंग से. कई कॉलेजों से विश्वविद्यालय को यह सूचना मिली थी कि सामान खरीदा और घर व मित्रों को बांट दिया गया. जेनरेटर, वाटर प्यूरीफायर, जांच परीक्षा के लिए उत्तरपुस्तिका व प्रश्नपत्र के लिए जांच प्रक्रिया का पालन में बरते गये नियम से संबंधित तमाम कागजात की मांग प्राचार्य से की जायेगी.

खरीद से पहले निविदा निकालने की प्रक्रिया, कोटेशन मंगाने के माध्यम, तीनों कोटेशन की तुलनात्मक विवरणी, कॉलेज के विकास समिति से अनुमोदन, परचेज ऑर्डर, खरीद के बाद स्टॉक इंट्री व इशू ऑर्डर, पेमेंट बिल आदि की मांग की जायेगी. फर्नीचर की खरीद खास कर गोदरेज कंपनी से पांच से सात प्रतिशत कमीशन मिलने का साक्ष्य भी प्राचार्यो को प्रस्तुत करना होगा. यह कमीशन कॉलेज के खाते में जाता है. यूजीसी फंड से सामग्री की खरीदारी की भी जांच होगी, इसमें किताब की खरीदारी भी शामिल है. सेंटर ऑफ एक्सेलेंस का दर्जा मिलने के बाद संबंधित कॉलेज को मिली राशि के खर्च की भी जांच होनी है. बर्सर नियुक्ति की भी जांच कमेटी कर सकती है. कॉलेज में होनेवाले खर्च पर बर्सर की निगरानी होती है और इनका कार्यकाल तीन साल का होता है. कई कॉलेज में यह तीन साल से भी अधिक से जमे हुए हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें