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शहर में मच्छरों का आतंक

भागलपुर: गरमी की आहट शुरू हो गयी है. शाम होते ही घरों में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है. मच्छरों के प्रकोप से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने अभी कोई तैयारी शुरू नहीं की है. लाखों रुपये की लागत से चार साल पहले निगम ने एक बड़ी और सात छोटी फॉगिंग मशीन लायी […]

भागलपुर: गरमी की आहट शुरू हो गयी है. शाम होते ही घरों में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है. मच्छरों के प्रकोप से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने अभी कोई तैयारी शुरू नहीं की है. लाखों रुपये की लागत से चार साल पहले निगम ने एक बड़ी और सात छोटी फॉगिंग मशीन लायी गयी थी, लेकिन उससे हर महीने छिड़काव नहीं किया जा रहा है.

सबसे बड़ी बात यह है कि निगम ने मशीन तो खरीद ली, लेकिन उसे चलाने के लिए ना तो गाड़ी की खरीद की, ना ही रखरखाव के लिए किसी फंड की व्यवस्था. स्थिति यह है कि निगम के गोदाम में रखी मशीनों में से छह छोटी फॉगिंग मशीन खराब हो गयी है. उसे ठीक कराने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. मशीन खराब हुए चार महीने से अधिक समय बीत चुका है. एक छोटी और एक बड़ी जो काम कर रही है, उसका रख-रखाव भी सही तरीके से नहीं किया जा रहा है. रखे-रखे मशीन के पार्ट्स खराब हो रहे हैं. निगम के गोदाम प्रभारी हसन खां के अनुसार छह छोटी मशीन खराब है, जो ठीक करायी जायेगी. बड़ी मशीन की खरीद में लगभग 12 लाख रुपये खर्च आया था और एक छोटी मशीन पांच लाख रुपये की है. निर्देश मिलने के बाद छिड़काव किया जायेगा.

क्रय समिति की बैठक में उठा मामला
नगर निगम के गोदाम में छह छोटी फॉगिंग मशीन खराब पड़ी है. इसका रख-रखाव नहीं किया जा रहा है. इसके बाद भी मेयर की असहमति के बावजूद लगभग तीन लाख की लागत से एक छोटी मशीन मंगायी गयी. शनिवार को क्रय समिति की बैठक में ही मेयर ने स्वच्छता निरीक्षक से इस मशीन की खरीद के औचित्य पर सवाल उठाया था. मेयर का कहना था कि पिछले साल बड़ी व छोटी मशीन से छिड़काव करने में लगभग बीस लाख रुपये खर्च किये गये थे. अगर इतने पैसे खराब छोटी मशीनों के रखरखाव पर खर्च होते, तो सभी मशीनें दुरुस्त करायी जा सकती थीं.
60 लीटर डीजल होता है एक घंटे में खर्च
एक बड़ी मशीन को चलाने में निगम को 60 लीटर डीजल व आठ लीटर पेट्रोल खर्च होता है. वहीं हाथ से चलानेवाली मशीन में एक घंटे में पांच लीटर डीजल व दो लीटर पेट्रोल का खर्च आता है. दोनों मशीन में छिड़काव के मशीन में दवा मारने वो कीटनाशक दवा छिड़काव होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि बड़े मशीन को चलाने के लिए निगम के पास गाड़ी नहीं है.

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