भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने एकेडमिक स्टाफ कॉलेज व एमएड विभाग खोलने का प्रस्ताव तो पारित कर लिया, लेकिन तत्कालीन कुलपति डॉ विमल कुमार द्वारा कई कोर्स शुरू करने के लिये गये निर्णय को भूल गया. डॉ कुमार का निर्णय हवा-हवाई इसलिए भी नहीं माना जा सकता कि उन्होंने 24 मार्च 2012 को इसकी घोषणा तमाम सीनेट सदस्यों, विश्वविद्यालय के अधिकारियों के बीच में सीनेट की बैठक के दौरान लिखित रूप में की गयी थी. जब कोर्स के संचालन की शुरुआत डेढ़ साल बाद भी नहीं हो सकी है, तो एकेडमिक स्टाफ कॉलेज व एमएड विभाग तत्काल खुल ही जायेंगे, इसकी गारंटी नहीं दिख रही.
विश्वविद्यालय के कई शिक्षक इस बात को मानते हैं कि तत्कालीन कुलपति डॉ कुमार के योग, फिजियोथेरापी, पत्रकारिता, संगीत, सांस्कृतिक एवं युवा कल्याण जैसे स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने का निर्णय अगर धरातल पर उतरता, तो छात्रों के लिए बड़ा हितकारी साबित होता. लेकिन उक्त कोर्सो को शुरू करने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.
हाल के वर्षो में रोजगारोन्मुख शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) प्रोत्साहन कार्यक्रम के साथ-साथ पर्याप्त धन भी उपलब्ध कराती है. पिछले साल के बजट में उक्त पाठ्यक्रमों के लिए बजट में पर्याप्त धनराशि का प्रावधान भी किया गया था. बावजूद इसके यह सपना घोषणा से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया.
दूसरी ओर इस साल 27 जून को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में कुलपति के कार्यालय में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विवि में एकेडमिक स्टाफ कॉलेज व एमएड कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया गया था. उक्त दोनों संस्थान खोलने के लिए बीएन कॉलेज के पुराने भवन (इवनिंग कॉलेज) में जगह भी चिह्न्ति कर ली गयी है. इससे पूर्व नौ अंगीभूत कॉलेजों में बीएड की पढ़ाई शुरू करने का निर्णय प्राचार्यो व प्राचार्य प्रतिनिधियों की बैठक में लिया जा चुका है. इसी तरह टीएनबी कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज, कोसी कॉलेज, खगड़िया व आरडी एंड डीजे कॉलेज, मुंगेर में पीजी की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव भी पारित कर राज्य सरकार को भेजा जा चुका है. लेकिन यह तमाम कोर्स कागजी प्रक्रिया से धरातल पर नहीं उतर पा रहे हैं.