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वित्तरहित कॉलेजों के बहुरेंगे दिन
निलेश भागलपुर : राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी कॉलेजों के साथ-साथ वित्तरहित कॉलेजों की भी अहम भूमिका होती है. उच्च शिक्षा ग्रहण करने को इच्छुक शत-प्रतिशत छात्र-छात्रओं को टीएनबी कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज या एसएम कॉलेज जैसे सरकारी संस्थानों में प्रवेश नहीं मिल पाता. ऐसे में 60 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्रओं की जिम्मेवारी […]
निलेश
भागलपुर : राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी कॉलेजों के साथ-साथ वित्तरहित कॉलेजों की भी अहम भूमिका होती है. उच्च शिक्षा ग्रहण करने को इच्छुक शत-प्रतिशत छात्र-छात्रओं को टीएनबी कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज या एसएम कॉलेज जैसे सरकारी संस्थानों में प्रवेश नहीं मिल पाता.
ऐसे में 60 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्रओं की जिम्मेवारी वित्तरहित कॉलेज निभाते हैं. भागलपुर समेत सूबे भर के वित्तरहित कॉलेजों में लाखों छात्र-छात्रएं शिक्षा ग्रहण करते हैं, लेकिन वित्त संपोषित नीति लागू करने के बावजूद इन कॉलेजों के शिक्षकों को वह सम्मान न मिला, जिसके वह हकदार हैं. बीते गुरुवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने वित्तरहित इंटर व डिग्री कॉलेजों के सरकारीकरण की घोषणा की थी, जिसके बाद इन कॉलेजों के कायाकल्प होने के सपने को पंख लगने लगा है.
शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल ने भी इन वित्तरहित कॉलेजों के सरकारी अधिग्रहण की योजना पाइपलाइन में होने की बात कही थी. कैबिनेट की बैठक में इस निर्णय पर अंतिम रूप से मुहर लगने की संभावना है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि शनिवार को हुई बैठक में सेवानिवृत्ति के लिए उम्र सीमा 60 से 62 वर्ष करने सहित अन्य कुछ बिंदुओं पर सहमति बन गयी है. केवल वित्त विभाग में कुछ पेच अटका पड़ा है. सूत्र बताते हैं कि सोमवार को होने वाली बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिये जा सकते हैं.
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