कहलगांव: कहलगांव रेलवे स्टेशन को मालदा डिवीजन ने इ श्रेणी में रखा है. यानी हाल्ट से थोड़ा ही ऊपर. मालदा डिवीजन के वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक वीरेंद्र प्रसाद द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता नीरज कुमार गुप्ता के आरटीआइ के तहत मांगी गयी जानकारी के अनुसार कहलगांव स्टेशन से वर्ष 2009-10 राजस्व 4.52 करोड़, 2010-11 में 4.55 करोड़, 2011-12 में 4.50 करोड़, 2012-11 में 45.5 करोड़ तथा 2011-12 में 2011-12 में 4.50 करोड़ रुपये थे. दूसरी ओर मुंगेर के अभयपुर रेलवे स्टेशन का इसी वित्तीय वर्ष में राजस्व क्रमश: 1.25 करोड़, 1.53 करोड़ तथा 1.73 करोड़ रुपये है.
तुलानात्मक रूप से कहलगांव का राजस्व अभयपुर से लगभग तीन गुणा ज्यादा है. फिर भी अभयपुर की तरह कहलगांव में सभी मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें नहीं रुकती. जबकि कहलगांव के ग्रामीण क्षेत्र का दायरा अधिक विस्तृत है. यह बिहार के अलावा झारखंड राज्य के कई क्षेत्रों से मिलता है. उनका भी मुख्य रेलवे स्टेशन कहलगांव ही है. यहां एनटीपीसी और ऐतिहासिक विक्रमशिला अवस्थित होने के कारण इसकी महत्ता और बढ़ जाती है.
रेल बजट 2011-12 में कहलगांव को मॉडल स्टेशन का दर्जा भी दिया गया, लेकिन उस अनुरूप यहां कोई व्यवस्था नहीं की गयी. यात्रियों की संख्या में वृद्धि के अनुपात में यात्री शेड नहीं बनवाये गये हैं. प्लेटफॉर्म नंबर एक पर शौचालय बंद हैं. दो नंबर पर है ही नहीं. सौंदर्यीकरण के लिए लगाया गया एक फव्वारा पेड़ों और झाड़ियों के बीच लुप्त हो गया है. यात्रियों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर यहां एक फुट ओवरब्रिज, एक निकास द्वार तथा टिकट काउंटर की संख्या बढ़ाने की जरूरत है.