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छह साल से सीनेट की एकेडमिक बैठक नहीं

भागलपुर: किसी भी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए सीनेट की बैठक शैक्षणिक चर्चा के लिए होती है, लेकिन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में पिछले कई वर्षो से शैक्षणिक चर्चा के लिए सीनेट की बैठक नहीं बुलायी गयी. नियमानुसार यह बैठक साल में एक बार होनी ही चाहिए. बावजूद इसके हर साल बजट […]

भागलपुर: किसी भी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए सीनेट की बैठक शैक्षणिक चर्चा के लिए होती है, लेकिन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में पिछले कई वर्षो से शैक्षणिक चर्चा के लिए सीनेट की बैठक नहीं बुलायी गयी. नियमानुसार यह बैठक साल में एक बार होनी ही चाहिए.

बावजूद इसके हर साल बजट पारित कराने के लिए सीनेट की बैठक बुलायी तो गयी, लेकिन शैक्षणिक मामलों पर विचार के लिए नहीं. स्थिति यह है कि शुक्रवार को अपने कार्यकाल का एक साल पूरे करने पर विश्वविद्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे द्वारा बतायी गयी भविष्य की योजना में भी उक्त बैठक को शामिल नहीं किया गया है.

सात वर्ष पूर्व हुई थी बैठक, लेकिन चुनाव के लिए. तत्कालीन कुलपति प्रेमा झा के कार्यकाल में 26 अप्रैल 2008 को सीनेट की बैठक बुलायी गयी थी. बैठक में भी शैक्षणिक चर्चा मामूली रूप में हुई और इसमें मुख्य रूप से सिंडिकेट के सदस्यों का चुनाव हुआ था.

ऐसा होता है बैठक का स्वरूप

सीनेट की शैक्षणिक चर्चा के लिए होनेवाली बैठक में सीनेट सदस्यों को बैठक से पूर्व पत्र भेजा जाता है. सदस्यों को पत्र के माध्यम से यह कहा जाता है कि विवि की गतिविधियों व शैक्षणिक सुधार के लिए वे जो प्रश्न पूछेंगे, वह बैठक से 10 दिन पहले कुलसचिव कार्यालय में जमा कर दें. बैठक में प्रश्नों के उत्तर कुलपति व उनके द्वारा मनोनीत सदस्य देते हैं. शैक्षणिक माहौल पर वाद-विवाद और बहस होती है. आवश्यकतानुसार बैठक के दूसरे सत्र में सिंडिकेट सदस्यों का चुनाव होता है.

बैठक नहीं होने की क्या है वजह

सीनेट के कुछ सदस्य मानते हैं कि पिछले कई वर्षो से जो भी कुलपति नियुक्त किये गये, वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. इस कारण बजट पारित कराने के लिए सीनेट की बैठक तो किसी न किसी तरह आयोजित कर ली जाती थी, लेकिन शैक्षणिक चर्चा के लिए बैठक नहीं बुलायी जाती थी. कुछ अन्य सदस्यों का मानना है कि बैठक में त्रुटियों का राज खुलने के भय व कड़वे सवालों से बचने के लिए इस बैठक से विवि प्रशासन बचना चाहता है.

सीनेट सदस्यों के विचार

सीनेट सदस्य डॉ डीएन राय ने बताया कि सीनेट के सदस्यों का केवल यही काम नहीं है कि वह केवल बजट पास करे, बल्कि एकेडमिक विमर्श के लिए बैठक में भाग ले. बैठक के नहीं होने से सिलेबस, परीक्षा, खेल, विद्यार्थी आदि की समस्या गौण रह जाती है. क्लास रूम में छात्रों की उपस्थिति की कमी जैसी समस्या का निदान ढूंढ़ पाना मुश्किल हो रहा है. सीनेट सदस्य डॉ योगेंद्र ने बताया कि जो भी कुलपति आते हैं, उनका पहला काम होता है लोकतांत्रिक संस्थाओं की क्षमता समाप्त कर देना. लिहाजा समय पर सिंडिकेट की बैठक नहीं बुलाते. साल में सीनेट की बैठक दो बार बुलायी जानी चाहिए. उसमें शैक्षणिक चर्चा के लिए बैठक कभी नहीं बुलायी जाती. 2008 में भी चुनाव के लिए बैठक बुलायी गयी. वजह है कि कड़े सवालों का जवाब देना होगा.

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