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1942 के आंदोलन में अच्युता बाबू का रहा महत्वपूर्ण योगदान

– स्वतंत्रता सेनानी अच्युतानंद सिंह की 10 वीं पुण्यतिथि पर समारोहफोटो : मनोज जीसंवाददाता, भागलपुरस्वतंत्रता आंदोलन के सिपाही अच्युता बाबू का 1942 के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा. उक्त बात पूर्व सांसद सह शिक्षाविद् डॉ रामजी सिंह ने बुधवार को राष्ट्रीय सामाजिक सेवा संस्थान की ओर संयुक्त भवन परिसर स्थित डॉ एम विश्वैश्वरैया स्मृति भवन […]

– स्वतंत्रता सेनानी अच्युतानंद सिंह की 10 वीं पुण्यतिथि पर समारोहफोटो : मनोज जीसंवाददाता, भागलपुरस्वतंत्रता आंदोलन के सिपाही अच्युता बाबू का 1942 के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा. उक्त बात पूर्व सांसद सह शिक्षाविद् डॉ रामजी सिंह ने बुधवार को राष्ट्रीय सामाजिक सेवा संस्थान की ओर संयुक्त भवन परिसर स्थित डॉ एम विश्वैश्वरैया स्मृति भवन में अच्युतानंद सिंह की 10 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित संगोष्ठी में कही. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि ई दिनेश प्रसाद सिंह, ई पीसी मिश्रा, डॉ रमेश आत्मविश्वास, मुकुटधारी अग्रवाल व मुख्य अतिथि डॉ आरडी शर्मा थे. डॉ अशोक यादव ने कहा अच्युता बाबू पहले व्यक्ति थे, जो भागलपुर में गंगा पुल बनाने की मांग की. सैदपुर के राम स्वरूप कुंवर ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अच्युता बाबू से कहा था कि मेरे बाद तुम नेताजी के नाम से पुकारे जाओगे. मंच का संचालन गीतकार राजकुमार व संजय भागलपुरी ने किया. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी हुई. सरस्वती वंदना द्वारा राजकुमार ने काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया. जगतराम साह कर्णपुरी, बैरिस्टर सिंह, डॉ आरडी शर्मा, विजय मिश्र, श्रवण बिहारी, राम प्रकाश स्नेहिल, दिनेश तपन, कृष्ण मोहन किसलय, उमा कांत झा, हारून रसीद, महेंद्र निशाकर, राघवेंद्र सहाय, कपिलदेव कृपाला ने कविता पाठ की. इस दौरान अच्युता बाबू को भारत रत्न की उपाधि, जीरो माइल पर उनका आदम कद प्रतिमा स्थापित करने आदि की मांग की गयी. शंभु प्रसाद सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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