भागलपुर: चंपा स्क्रू पाइल पुल हो या भैना स्क्रू पाइल पुल या फिर घोरघट का बेली ब्रिज सभी आयु सीमा पूरी होने के बाद सिर्फ वेल्डिंग के भरोसे टिके हैं. घोरघट बेली ब्रिज के वेल्डिंग पर लाखों खर्च के बाद विभाग एक बार फिर 25 लाख खर्च करने के लिए तैयार है. टेंडर की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गयी है.
अगले दो-चार दिन के अंदर बेल्डिंग का काम शुरू होगा. साथ में बोल्डर पीचिंग का काम भी कराया जायेगा. इससे पहले भैना पुल के बेल्डिंग पर विभाग ने 40 लाख से अधिक खर्च किया है. फिर भी डायवर्सन बनाने की जरूरत पड़ी है. चंपा स्क्रू पाइल पर भी पिछले साल 25 लाख से अधिक खर्च किया गया था. इस पुल पर बड़े वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है.
अर्धनिर्मित पुलों के निर्माण को लेकर गंभीर नहीं एनएच
अर्धनिर्मित पुलों के निर्माण को लेकर राष्ट्रीय उच्च पथ विभाग गंभीर नहीं है. चंपा और भैना पुल का अल्पकालीन टेंडर की बजाय नोटिस टेंडर निकाला है. इसकी तिथि इतनी लंबी रखी गयी है कि का टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने में महीनों लग जायेंगे. इससे समय पर पुल बनना मुश्किल है. मालूम हो कि भैना और चंपा पुल का टेंडर 10 फरवरी को रखा गया है. दोनों पुलों के निर्माण पर करीब 28 करोड़ लागत आयेगी. इसमें चंपा पुल के लिए करीब 16 करोड़ एवं भैना पुल के लिए करीब 12 करोड़ की लागत शामिल है.
भूमि अधिग्रहण की पेच में फंसा घोरघट पुल
बेली ब्रिज के नजदीक आरसीसी पुल का निर्माण सालों से लंबित है. यह पुल भूमि अधिग्रहण के पेच से अब तक बाहर नहीं निकल सका है. मुआवजा राशि की फाइल मुख्यालय में पड़ी है. विभागीय उदासीनता के कारण न तो भू-स्वामियों को पैसा मिल रहा है और न ही पुल का निर्माण शुरू हो रहा है. बता दें कि मुंगेर और भागलपुर जिला में पड़ने वाले भू-अधिग्रहण को लेकर जिला प्रशासन ने विभाग को मुआवजा राशि का एस्टिमेट महीनों पहले सौंपा है.