भागलपुर: राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) से कॉलेजों का मूल्यांकन कराना व अच्छी ग्रेडिंग पाना सहज नहीं है. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कॉलेजों को इस बात की मजबूरी हो गयी है कि वे कॉलेज परिसर में इस तरह की आधुनिक व्यवस्था डेवलप करे कि क्लास रूम से लेकर लैबोरेट्री तक और लाइब्रेरी से लेकर खेल मैदान तक दमक उठे.
कॉलेज सूत्रों के मुताबिक व्यवस्था सुदृढ़ करने की दूसरी मजबूरी यह भी है कि मारवाड़ी कॉलेज व जमालपुर कॉलेज को छोड़ कर अन्य सभी कॉलेजों के आवेदनों ( लेटर ऑफ इंटेंट) को नैक ने अस्वीकृत कर दिया है. यही नहीं अगले छह माह में नैक के बताये निर्देश के मुताबिक व्यवस्था में खोट दिखा, तो आवेदन दोबारा अस्वीकृत हो सकता है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में छात्रों के लिए कॉलेजों में हर तरफ व्यवस्था सुदृढ़ दिखेगी.
नैक ने बताया, क्या करें सुधार
भागलपुर विश्वविद्यालय के अधिकतर कॉलेजों का एलओआइ ( लेटर ऑफ इंटेंट) नैक ने अस्वीकृत किया है, उसके अस्वीकार करने के कारणों का भी नैक ने उल्लेख किया है. नैक ने कहा है कि उल्लेख किये गये बिंदुओं को पूरा करने के बाद दोबारा छह माह के बाद ही एलओआइ भेज सकते हैं. इसके बाद वह स्वीकार किया गया, तभी एसएसआर भेजा जायेगा. इसकी स्वीकृति मिलने के बाद नैक अपनी टीम भेज कर यह जांच करवायेगी कि कॉलेज ने जो सुविधा देने का उल्लेख आवेदन में किया है, वह धरातल पर है या नहीं.
सारे विकास कार्य आंतरिक स्नेत से
कॉलेज सूत्रों के मुताबिक नैक से अच्छी ग्रेड प्राप्त करने के लिए विकास कार्य आंतरिक स्नेत से खर्च हो रहा है. कुछ चीजों में यूजीसी के अनुदान का सहयोग मिल रहा है.
कॉलेजों का ग्रेडिंग कराना इसलिए भी जरूरी
अच्छी ग्रेडिंग पाने के लिए कॉलेज में अच्छी व्यवस्था जरूरी है. अच्छे ग्रेड मिलने पर सरकार व यूजीसी उसी के अनुरूप अनुदान भी देगी. यही नहीं यूजीसी व राज्य सरकार ने इस बात की चेतावनी दे दी है कि नैक से मूल्यांकन नहीं कराने पर अनुदान पर रोक लगा दी जायेगी.