भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने कहा कि आज प्राचीन सभ्यता संस्कृति को अपनाने की जरूरत है. प्राचीन सांस्कृतिक विरासत तक्षशिला, नालंदा व विक्रमशिला विश्वविद्यालय की परंपरा जारी रखने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी.
आज 21वीं शताब्दी में शिक्षा का स्तर क्या हो, इस पर ध्यान रखने की जरूरत है. आज छात्रों को अपने अतीत का परिचय कराना आवश्यक है. वे गणपतराय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर, नरगाकोठी में आयोजित प्रांतीय ज्ञान-विज्ञान मेला के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.
विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नंद कुमार इंदु ने कहा कि देश की सबसे बड़ी शिक्षा व्यवस्था विद्या भारती है. इस व्यवस्था का उद्देश्य ज्ञान-विज्ञान मेला द्वारा ज्ञान का विकास करना राष्ट्र, देश की सेवा करना है. दाता प्रतिनिधि लक्ष्मी नारायण डोकानियां ने कहा कि सारी शिक्षा चरित्र निर्माण के लिए होती है. अजीत कुमार पांडेय ने कहा कि विद्या भारती की संकल्पना भारतीय संस्कृति आधारित शिक्षा है.
हम इसकी योजना के अनुरूप बच्चों का निर्माण करें. शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका दृष्टि का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों ने किया. अतिथियों का परिचय प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह ने कराया. भागलपुर विभाग के प्रमुख प्रकाश चंद्र जायसवाल ने आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में दक्षिण बिहार के कुल सात विभाग (भागलपुर, मुंगेर, नालंदा, गया, पटना, भोजपुर, रोहतास) से लगभाग 400 प्रतिभागी बच्चे व 100 संरक्षक आचार्यो ने भाग लिया. इस मौके पर विद्यालय के अध्यक्ष डॉ मधुसूदन झा, सचिव छोटे लाल दास, दिवाकर घोष, कृपा शंकर शर्मा, रमेश चंद्र द्विवेदी, डॉ धीरेंद्र झा, ब्रrादेव प्रसाद, बजरंगी प्रसाद, मथुरा पांडेय, वीरेंद्र कुमार, जयप्रकाश झा, अजीत कुमार पांडेय, अजीत कुमार, प्रभाष मिश्र, शशि भूषण मिश्र आदि उपस्थित थे.