भागलपुर: जलपुरुष के नाम से विख्यात मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेंद्र सिंह ने कहा है गंगा हमारी माई है और इस पर हमारे देश के लोगों का हक है. इसे विश्व बैंक की जागीर नहीं बनने देंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा की अविरलता व निर्मलता को लेकर सत्ता में तो पहुंचे लेकिन सत्ता में आने के बाद गंगा की अविरलता का ख्याल नहीं रखा.
गंगा की निर्मलता के लिए बजट में 3900 तथा अविरलता को रोकने के लिए 6300 करोड़ की व्यवस्था की. गंगा को नष्ट करने व उसे तालाब बनाने की साजिश हो रही है. अगर यही हाल रहा तो इस क्षेत्र में हमेशा बाढ़ व कटाव का खतरा बना रहेगा. श्री सिंह प्रभात खबर से बातचीत कर रहे थे. श्री सिंह ने कहा कि गंगा की सफाई का प्रयास तो अच्छा है लेकिन जिस तरह गंगा में यातायात के नाम पर विश्व बैंक गंगा पर कब्जा करना चाह रहा है वह नहीं होने देंगे. गंगा हमारी मां है और मां पर अधिकार बेटों का होता है. गंगा के बेटे किसान, मछुआरे, पुजारी और यहां के लोग हैं.
तालाब बन जायेगी गंगा
गंगा को नष्ट करने की साजिश हो रही है. 16 जगह नये बराज बनने हैं. इससे गंगा की अविरलता समाप्त हो जायेगी और यह यह तालाब बन कर रह जायेगी. बिना गंगा की स्थिति का आकलन किये इसका डीपीआर बनाने को कह दिया गया. विश्व बैंक गंगा से कमाई करना चाह रहा है. विश्व बैंक को गंगा को बांधने की जल्दी है. इससे तो भारत डूब जायेगा.
..तो कटाव व बाढ़ का क्षेत्र बन जायेगा भागलपुर. 10 मीटर ऊंचा बराज बनने से भागलपुर, मुंगेर आदि का इलाका हमेशा के लिए कटाव व बाढ़ की चपेट में आ जायेगा. फरक्का बराज का दुष्परिणाम सबके सामने है. मछली का उत्पादन कम हो गया. हिलसा सहित अन्य प्रजाति की मछलियों के अस्तित्व पर संकट है. बराज की वजह से मछली का उत्पादन कम हो जायेगा. मछुआरे की रोजी- रोटी प्रभावित होगी. फरक्का बराज की वजह से डेल्टा बन गया. श्री सिंह ने अफसोस जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व बैंक को गंगा कमाई करने के लिए दे दिया. श्री सिंह ने फरक्का बराज को समाप्त करने की बात कही. उन्होंने कहा कि वे भागलपुर के लोगों से इस बात की चर्चा करेंगे कि फरक्का को तोड़ा जाये या नहीं. अगर यहां के लोग इस बात पर सहमति देंगे कि फरक्का बराज को तोड़ना है तो वे उनका पूरा समर्थन करेंगे.
नहीं बनने देंगे बराज. इधर गंगा अविरलता चेतना यात्रा के तहत भागलपुर आये जल पुरुष श्री सिंह ने पत्रकारों को बताया कि बताया कि गंगा प्रेमी व आम जनमानस के सहयोग से गंगा पर किसी भी कीमत पर बराज नहीं बनने देंगे. इसके लिए कानून का भी सहारा लिया जायेगा. छह अक्तूबर को आरा से इस यात्र की शुरुआत हुई की गयी थी, जो भागलपुर में संपन्न हो गयी. यात्र के दौरान उन्होंने चार संगोष्ठी भी की. हर संगोष्ठी में एक बात पर सभी सहमत थे कि फरक्का बैराज टूटे और नया बैराज नहीं बने. उन्होंने बैराज से गंगा को होने वाले नुकसान का भी विस्तार से जिक्र किया. श्री सिंह ने कहा कि वे फरक्का बैराज तोड़ने की न्यायसंगत बात करते हैं. इससे देश के बड़े हिस्से को नुकसान हो रहा है. इसके लिए कानून में भी जायेंगे और बड़ा जनांदोलन चलाया जायेगा, ताकि समाज को गंगा के प्रति जुड़ाव व एहसास हो सके. उन्होंने कहा कि लोगों के मन में गंगा बहती है. भले ही यह मैली हो गयी है और मैला ढोने वाली मालगाड़ी बन गयी हो, लेकिन इसके प्रति लोगों की आस्था कम नहीं हुई है. जल पुरुष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है सरकार उनकी बात अवश्य सुनेगी. क्योंकि यह गंगा प्रेमी व जनमानस की आवाज है. उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनकी बात सुन कर गंगा पर बनने वाले तीन डैम को तुड़वा दिया, जबकि उस पर छह हजार करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके थे. वर्तमान सरकार में तो मजबूत प्रधानमंत्री हैं और वे उनकी बात अवश्य सुनेंगे. हालांकि फिलहाल केंद्र से उनकी कोई बात नहीं हुई है, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री के साथ 16 अगस्त को उनकी वार्ता हुई है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वे अपने कार्यकाल में गंगा पर बैराज नहीं बनने देंगे.
बिहार से शुरू होगा जनांदोलन . जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा को बचाने के लिए बड़ा जनांदोलन चलाया जायेगा. इस आंदोलन की शुरुआत बिहार से ही होगी. क्योंकि यहां के लोग काफी जागरूक हैं. उनमें गंगा को बचाने का जज्बा है. यहां से शुरू हुआ आंदोलन अपने मुकाम पर अवश्य पहुंचता है. पत्रकारवार्ता में मौजूद जल बिरादरी व बिहार प्रदेश किसान संगठन के राम बिहारी सिंह ने कहा कि गंगा के पानी में बिहार की हिस्सेदारी की भी बात उन्होंने उठायी है. बराज बनने से सबसे अधिक नुकसान बिहार को ही होगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर कार्यक्रम घोषित किये जायेंगे. संवाददाता सम्मेलन में रविशेखर भारद्वाज भी उपस्थित थे.