भागलपुर: हर जिले की भांति भागलपुर में भी प्रत्येक गुरुवार को जिलाधिकारी के जनता दरबार में पीड़ितों की भीड़ लगती है. न्याय की चाह में दूर-दूर से आये लोगों के आवेदनों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी जारी है, पर निष्पादन की धीमी गति के कारण पीड़ित निराश होने लगे हैं. जानकार सूत्रों के अनुसार हर हफ्ते शिकायतों का अंबार लगता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मामलों के निष्पादन की गति कछुआ चाल को मात दे रही है.
समय पर निष्पादन नहीं होने से फरियादियों में निराशा है. पिछले महीने प्रधान लिपिकों की बैठक में जन शिकायत कोषांग द्वारा दिये गये आंकड़ों की माने तो 26 अगस्त तक जिलाधिकारी के जनता दरबार में आये करीब चार हजार आवेदन लंबित हैं. यही हाल मुख्यमंत्री जनता दरबार में जिला से संबंधित आये आवेदनों का है. मुख्यमंत्री जनता दरबार के आवेदनों के निष्पादन में भी सुस्ती बरती जा रही है.
आंकड़ों पर गौर करें तो मुख्यमंत्री जनता दरबार से संबंधित लगभग एक हजार आवेदन भी लंबित हैं. यह स्थिति तब है, जब प्रत्येक सोमवार को जिलास्तरीय पदाधिकारियों के साथ आयोजित साप्ताहिक समन्वय बैठक में जिलाधिकारी जनशिकायत से संबंधित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करने का निर्देश दिया जाता है.
क्या है कारण
जानकारों का मानना है कि जनता दरबार को रस्मी तौर पर लिया जाने लगा है. आवेदन निष्पादन का निर्देश तो दिया जाता है, लेकिन उसका निष्पादन हुआ कि नहीं, इसकी निगरानी नहीं होती. जनता दरबार में आये आवेदन संबंधित विभाग में भेजे तो जाते हैं, पर न तो उसका फॉलोअप होता और न हीं काम नहीं होने पर दोषी पर कोई कार्रवाई. जनशिकायत कोषांग भी आवेदन भेज कर अपने कर्तव्य से मुक्ति पा लेता है.
क्या हो तो बने काम
जनता दरबार में आये आवेदनों को जिस विभाग को दिया जाये वह विभाग उसके लिए संबंधित व्यक्ति को नामित करे. इसकी सूचना डीएम तक को दी जाये. आवेदन के हिसाब से उसके निष्पादन की समय सीमा तय हो. इसकी जानकारी डीएम को हो और इससे संबंधित सूचना भी सूचना पट्ट पर लगे. इससे आवेदन करनेवाले को अपने काम के समयसीमा की जानकारी होगी. समय सीमा पर काम पूरा नहीं होने पर उससे संबंधित शिकायत किससे की जाये, उसका भी नाम सूचना पट्ट पर दर्ज हो. ऐसे मामलों में ढिलाई करनेवालों पर कार्रवाई भी हो.