भागलपुर: उच्च विद्यालय लैलख का कोई अस्तित्व नहीं है. इसका न तो कहीं कोई भवन है और न ही साइन बोर्ड है. यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि खुद सबौर प्रखंड प्रशासन ने स्वीकारा है. स्कूल की जांच के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच रिपोर्ट सौंप दी है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कथित उच्च विद्यालय, लैलख के अवैध संचालन के विरोध में ग्रामीणों ने मध्य विद्यालय, लैलख में 25 जुलाई से तालाबंदी कर रखी है, इससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. बावजूद इसके शिक्षा विभाग इस दिशा में कारगर पहल नहीं कर रहा है.
27वें दिन भी नहीं खुला ताला : मध्य विद्यालय, लैलख का ताला 27वें दिन बुधवार को भी नहीं खुला. ग्रामीणों ने वित्तरहित उच्च विद्यालय, लैलख के अवैध रूप से संचालन को लेकर उसकी मान्यता रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. 965 बच्चों की पढ़ाई ठप : मध्य विद्यालय, लैलख में तालाबंदी से 27 दिनों से 965 बच्चों की पढ़ाई ठप है व विभिन्न योजनाएं भी बंद पड़ी है. बच्चे मध्याह्न् भोजन से वंचित हैं. शिक्षक कार्यालय संबंधी कार्य नहीं कर पा रहे हैं. स्कूल के कार्यालय में भी ताला लगा है.
क्या है मामला
ग्रामीण देव नारायण यादव ने बताया कि मध्य विद्यालय लैलख 1972 से चल रहा है. यह सरकारी विद्यालय है. इस स्कूल परिसर में वर्ष 1985 में ग्रामीणों ने चंदा देकर वित्तरहित हाइस्कूल खोला था. वर्ष 1990 के बाद यह स्कूल किसी कारण बंद हो गया. तब से हाइस्कूल का कोई अस्तित्व नहीं है. अखबार से उन लोगों को हर साल पता चलता है कि लैलख हाइस्कूल से सैकड़ों बच्चे उत्तीर्ण हुए. श्री यादव ने बताया कि कागज पर हाइस्कूल चल रहा है और विद्यार्थियों को हर साल मैट्रिक की डिग्री मिल जाती है.
डीइओ को जब बीडीओ की जांच रिपोर्ट मिली, तो कार्रवाई करनी चाहिए थी. किस परिस्थिति में कार्रवाई नहीं की गयी यह पूछने पर ही पता चल पायेगा. मध्य विद्यालय में ताला लगा है. बच्चों की पढ़ाई बाधित है. वैसे यह जानकारी ग्रामीणों द्वारा पहले ही दे दी जाती, तो निश्चित रूप से इस मामले को गंभीरता से लिया जाता. फिर भी चुनाव के बाद इस दिशा में गंभीरता से पहल करेंगे.
राधे प्रसाद, क्षेत्रीय शिक्षा
उपनिदेशक, भागलपुर
मैंने जिला शिक्षा पदाधिकारी को उच्च विद्यालय, लैलख की जांच रिपोर्ट सौंप दी है. फिलवक्त मुङो यह याद नहीं है कि रिपोर्ट में क्या लिखा है. कार्यालय में देखने पर ही बता पाना संभव है.
डॉ नुजहत जहां, बीडीओ, सबौर