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पूर्वी बिहार का हाल: काम नहीं आया महागठबंधन का समीकरण, तीनों सीटों पर एनडीए का परचम लहराया

भागलपुर : मोदी लहर का जलवा पूर्व बिहार की तीन सीटों पर भी दिखा. न माय समीकरण काम आया तो न बाहुबल. मुंगेर, जमुई व बांका की तीनों सीटों पर एनडीए प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. मुंगेर में जदयू प्रत्याशी ललन सिंह की कुशल चुनावी रणनीति ने बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को […]

भागलपुर : मोदी लहर का जलवा पूर्व बिहार की तीन सीटों पर भी दिखा. न माय समीकरण काम आया तो न बाहुबल. मुंगेर, जमुई व बांका की तीनों सीटों पर एनडीए प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. मुंगेर में जदयू प्रत्याशी ललन सिंह की कुशल चुनावी रणनीति ने बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को हार का रास्ता दिखाया, तो चिराग ने दोबारा जमुई सीट पर अपना कब्जा जमाया. जमुई सीट पर अंदरखाने का विरोध भी चिराग का बाल बांका नहीं कर सका. सबसे अधिक चौंकाने वाला परिणाम बांका का रहा. गिरधारी ने यह साबित किया कि उनकी चुनाव लड़ने की कौशल का कोई मुकाबला नहीं कर सकता. बांका : सवर्ण आरक्षण का विरोध जयप्रकाश को पड़ा भारी : बांका का चुनाव परिणाम चौंकाने वाला रहा.

एनडीए में यह सीट जदयू के खाते में गयी थी. बेलहर विधायक गिरधारी यादव को जदयू ने अपना प्रत्याशी बनाया. भाजपा को टिकट नहीं मिलने के कारण दावेदार पूर्व सांसद पुतुल कुमारी ने निर्दलीय पर्चा भरा. ऐसे में बांका सीट पर जयप्रकाश की राह आसान दिखने लगी. लेकिन कई ऐसे कारण थे, जो जयप्रकाश की हार का कारण बने. एक तो जयप्रकाश का जीत को लेकर आत्मविश्वास तो दूसरी ओर राजद द्वारा सर्वण आरक्षण का विरोध. सवर्ण मतदाताओं ने पुतुल कुमारी के मैदान में होने के बाद भी उन्हें दरकिनार कर गिरधारी का साथ दिया. एक सबसे बड़ी बात, जिसे बांका के राजनीतिज्ञ भी सहर्ष स्वीकारते हैं, वह है गिरधारी का चुनावी कौशल. तीन दिन पूर्व तक गिरधारी को राजनीतिक पंडित तीसरे नंबर पर बता रहे थे, लेकिन तीन दिन में ही पासा पलट गया और गिरधारी ने सबको पटकनी दे दी.

मुंगेर : मुंगेर में ललन की कुशल रणनीति ने सबको पछाड़ा : इस बार का मुंगेर लोकसभा का चुनाव कई मायनों में यादगार रहा. एक ओर जहां नीतीश कुमार के खासमखास व बिहार सरकार के कद्दावर मंत्री ललन सिंह चुनाव मैदान में थे, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने कभी जदयू विधायक रहे अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी पर दांव खेला. यही कारण था कि यह सीट हॉट हो गयी थी. पूरे बिहार की इस सीट पर नजरें जमी हुई थीं. अंत तक राजनीतिक पंडित मुकबला कड़ा होने की बात कहते रहे, लेकिन चुनाव के दिन यहां बदला माहौल दिखा. अनंत सिंह अपने प्रभाव वाले क्षेत्र से आग कहीं नहीं टिक सके. दूसरी ओर ललन सिंह ने हर विधानसभा में अपना दबदबा बनाये रखा. जदयू के परंपरागत वोटरों ने जहां एकमुश्त वोट किया तो दूसरी ओर सवर्णों ने भी ललन सिंह पर भरोसा जताया. यही कारण था कि ललन सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की.

जमुई : चिराग पासवान पिता की विरासत संभालने को तैयार
जमुई सीट से लगातार दूसरी बार बड़े अंतर से जीत दर्ज कर चिराग ने यह साबित कर दिया कि वह अब पिता की विरासत संभालने को तैयार हैं. चुनाव पूर्व जमुई सीट पर सब कुछ तो सामान्य दिख रहा था, लेकिन भितरघात की जबर्दस्त तैयारी थी . कई क्षत्रप इस बार अंदर ही अंदर विरोध कर रहे थे. जमुई में आयोजित प्रधानमंत्री की सभा में उमड़ी भीड़ से यह तो तय हो गया था कि मतदाताओं इस बार अलग मूड में हैं. जमुई में कोई भितरघात काम नहीं आया. मोदी के नाम पर मतदाताओं ने जमकर वोट डाले और चिराग ने दूसरी बार जीत दर्ज की.

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