भागलपुर : एनएच विभाग का भी जवाब नहीं. ऊफनाती गंगा की धार को बालू भरे बोरे से रोकने की कोशिश कर रही है. लेकिन यह कहीं से मुमकिन नहीं है. जिस तेजी से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है और यह डेंजर लेवल जोन पर पहुंच गया है, उससे यही लगता है कि एनएच 80 की रोड इंग्लिश फरक्का में कभी भी टूट सकती है. एनएच पर अभी जो संकट के बादल मंडरा रहे हैं, यह केवल विभागीय प्लानिंग का अभाव है. दरअसल, एनएच को बचाने के लिए विभाग के पास मौका ही नहीं था, बल्कि पर्याप्त समय भी मिला.
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ऊफनाती गंगा की धार को बालू भरे बोरे से रोकने की हो रही कोशिश
भागलपुर : एनएच विभाग का भी जवाब नहीं. ऊफनाती गंगा की धार को बालू भरे बोरे से रोकने की कोशिश कर रही है. लेकिन यह कहीं से मुमकिन नहीं है. जिस तेजी से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है और यह डेंजर लेवल जोन पर पहुंच गया है, उससे यही लगता है कि एनएच 80 […]
फिर भी ध्यान नहीं दिया. इस निर्माणाधीन सड़क के कांट्रैक्टर ने विभाग को अगाह किया था कि इंग्लिश फरका के पास स्वाइल ट्रीटमेंट के बिना यह नहीं टिकेगी. कांट्रैक्टर ने चेतावनी तक दिया था कि बोल्डर पीचिंग और मिट्टी का ठोस कार्य कराने की अनुमति नहीं मिलती है तो काम नहीं करायेंगे. विभागीय अधिकारी प्रपोजल बना हेडक्वार्टर को भेज बेसुध पड़ा रहा. परिणाम अब यह है कि विभागीय अधिकारी की लापरवाही के चलते यह सड़क जब टूटेगी, तो कई माह तक भागलपुर और कहलगांव के बीच संपर्क टूट जायेगा.
एनएच को बचाने के लिए 800 बैग डाला, 300 बैग रखा है तैयार
एनएच 80 की रोड को इंग्लिश फरका में बचाने के लिए अभी तक विभाग और फ्लड फाइटिंग टीम ने संयुक्त रूप से 800 बैग रखा है, ताकि रोड के किनारे का बचाव हो सके. वहीं 300 बैग तैयार रखा है.
अभी जो हालात है, उससे यही लगता है कि साल 2013 और 2016 की गलतियां दोहरायी जा रही हैं. दरअसल तब भी प्लानिंग नहीं बनी थी, जिससे एनएच 80 की रोड काे इंग्लिश फरका में बचायी जा सके. कई फीट तक टूट कर बह गया था. साल 2016 की बात करें, तो डेढ़ महीने तक रोड कटा ही रह गया था. नाथनगर विधायक अजय मंडल ने खुद के खर्च से आवागमन के लिए रास्ता बनवाया था.
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