भागलपुर: कहलगांव अंचल में बियाडा के लिए अधिग्रहित लगभग 800 एकड़ जमीन (रमजानीपुर को छोड़ कर) पर कब्जा लेने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. कब्जा लेने के दौरान यदि कोई किसान अपनी जमीन नहीं चाहेंगे, तो उसे अधिग्रहण से मुक्त कर दिया जायेगा.
इसके बदले में संबंधित किसान द्वारा ली गयी मुआवजा की राशि नौ प्रतिशत ब्याज सहित वापस करना होगा. प्रमंडलीय आयुक्त मिन्हाज आलम ने बताया कि राशि देते ही जमीन संबंधित किसान के नाम विमुक्त कर दिया जायेगा.
विदित हो कि कहलगांव अंचल के मौजा अलीपुर, कुतुबपुर, बभनगांवा, विशुनपुर, रमजानीपुर, लौगाई एवं हबीबपुर में औद्योगिक विकास केंद्र की स्थापना के लिए भूमि अजर्न की प्रशासनिक स्वीकृति वर्ष 1993 में दी गयी थी और उद्योग विभाग ने वर्ष 1995 में अधियाचना प्रेषित की थी. इसके आलोक में जिला प्रशासन द्वारा मौजा कुतुबपुर, बभनगांवा, अलीपुर एवं हबीबपुर का वर्ष 2002 एवं मौजा अलीपुर एवं लौगाई का वर्ष 2008 में कुल 755.10 एकड़ भूमि का दखल-कब्जा बियाडा को सौंपा गया था.
बाद में संशोधित बिहार भू-अजर्न पुन:स्थापन एवं पुनर्वास नीति 2007 के तहत रमजानीपुर के किसान मुआवजा की मांग करने लगे और भूमि पर दखल-कब्जा का विरोध करने लगे. इसको लेकर जिला प्रशासन की ओर से भी बियाडा को संशोधित प्राक्कलन भेजा गया जो कि लगभग 15 करोड़ से बढ़ कर एक अरब 35 करोड़ के आसपास हो गयी. इसको लेकर बियाडा ने उक्त भूमि का अधिग्रहण करने से मना करते हुए सरकार स्तर से इसे अजर्न से मुक्त करने की बात कह दी. इसको लेकर अब विवाद गहरा गया है. इस संबंध में पूछने पर प्रमंडलीय आयुक्त श्री आलम ने बताया कि रमजानीपुर की भूमि को अजर्न से मुक्त कर दिया गया है.
इसके अलावा अजिर्त हो चुकी अन्य मौजा की जमीन, जिसके भूस्वामी मुआवजा राशि ले चुके हैं, पर बियाडा को दखल-कब्जा लेने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि यदि कोई भूस्वामी अपना जमीन नहीं देना चाहते हैं और उसे अजर्न से मुक्त कराना चाहते हैं तो उन्हें नौ प्रतिशत ब्याज की दर से मुआवजा राशि सरकार के पास जमा कराना होगा. उनकी जमीन वापस उनके नाम से कर दी जायेगी. दूसरी ओर, उन्होंने कहा कि मुआवजा राशि ले चुके भूस्वामी यदि जमीन से अपना दखल-कब्जा नहीं छोड़ते हैं और राशि भी ब्याज सहित नहीं लौटाते हैं तो उन पर राशि वसूली के लिए नीलाम पत्र वाद दायर किया जायेगा.