भागलपुर: भागलपुर में वन का प्रतिशत आधे से भी कम है, जबकि क्षेत्रफल के हिसाब से वन का प्रतिशत 33 होना चाहिए. डॉल्फिन अभ्यारण्य के लिए भी कई योजनाएं बनी, लेकिन अधिकतर योजनाएं सरकारी फाइलों में ही धूल फांक रही है.
पेड़ों की अवैध कटाई : वन विभाग की ओर से इस वर्ष भी कई अवैध आरा मिलों को बंद किया गया है, लेकिन भू-माफियाओं द्वारा खेतों में लगे पेड़ों को लगातार काटा जा रहा है. पीरपैंती, शाहकुंड सहित अन्य इलाके में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हो रही है.
गंगा को बचाने की हो कोशिश : गंगा में हर वर्ष सार्वजनिक पर्व-त्योहारों पर मूर्ति का विसजर्न किया जाता है, इससे गंगा का जल दूषित होना स्वाभाविक है. आम लोगों में गंगा की सफाई को लेकर जागरूकता भी नहीं है.
तालाब खत्म होने से आयी समस्या
नदी विशेषज्ञ डॉ विजय कुमार कहते हैं कि 1950 के पूर्व गजेटियर के अनुसार जिला में 400 से अधिक पोखर व तालाब थे. लोग मूर्ति विसजर्न करने या घरों में पूजा-पाठ में इस्तेमाल सामग्री को तालाब में डाल देते थे. धीरे-धीरे तालाब भरते गये और वहां आबादी ने अपना कब्जा जमा लिया.
इन इलाकों में लगे हैं पौधे : 2011-12 में वन विभाग ने जगदीशपुर प्रखंड, भागलपुर-अमरपुर, बांका, कटोरिया पथ में छह किलो मीटर के क्षेत्र में कुल छह हजार पौधे लगाये. सुलतानगंज-तारापुर दर्दमारा पथ में 3.8 किलो मीटर में 3800 पौधे लगाये गये. जगदीशपुर-भागलपुर, हंसडीहा पथ में नौ किलो मीटर में 09 हजार पौधे लगाये गये.
रेंज अधिकारी बीपी सिन्हा ने बताया कि 2014-15 में शहरी क्षेत्र के विश्वविद्यालय कैंपस, आइटीआइ कॉलेज व अन्य स्थानों पर 5500 पौधे लगाये जायेंगे.