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अमरबेल की तरह बढ़ा जमीन का कारोबार

भागलपुर: पिछले एक दशक के दौरान यहां जमीन व मकान कारोबार अमरबेल की तरह बढ़ा और इस कारोबार की बहती गंगा में कई ने डुबकी लगा कर संपत्ति भी बनायी. अभी शहर में प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार पूरे परवान पर है. इस धंधे के एक दर्जन बड़े खिलाड़ियों ने एक दशक में अकूत संपत्ति अर्जित […]

भागलपुर: पिछले एक दशक के दौरान यहां जमीन व मकान कारोबार अमरबेल की तरह बढ़ा और इस कारोबार की बहती गंगा में कई ने डुबकी लगा कर संपत्ति भी बनायी. अभी शहर में प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार पूरे परवान पर है. इस धंधे के एक दर्जन बड़े खिलाड़ियों ने एक दशक में अकूत संपत्ति अर्जित की. इसमें कई रसूखदार लोग हैं और एक सिंडिकेट बना कर काम कर रहे हैं. यह सिंडिकेट शहर की विवादित संपत्तियों को कौड़ी के भाव खरीदता है. फिर उसे सोने के भाव बेचा जाता है.

पिछले- 10-12 साल में भागलपुर शहर व इसके आसपास के क्षेत्रों में संपत्ति का कारोबार खूब बढ़ा. इसमें काला धन का जम कर प्रयोग हुआ. जब यह धंधा परवान पर चढ़ने लगा तो इस धंधे के पुराने खिलाड़ी बाजार से गायब हो गये और एक सिंडिकेट ने इस पर पूरी तरह कब्जा जमा लिया. नेता, अधिकारी से लेकर पुलिस वाले, समाजसेवी, मनोरंजन का काम करनेवाले, वित्तीय सलाह का काम करनेवाले व अन्य धंधे में शामिल लोग इस सिंडिकेट में शामिल हुए या इसके करीब हो गये. कई अधिकारियों ने अपना काला धन इस धंधे में लगाया.

चर्चा तो यह है कि अपर समाहर्ता जयश्री ठाकुर के यहां आर्थिक अपराध अनुसंधान की छापेमारी हुई थी. उसका एक कारण में संपत्ति के कारोबार में जुटे दो वित्तीय सलाहकारों का आपसी मनमुटाव था. इसमें एक सलाहकार का नाम उस समय भी चर्चा में आया था जब आयकर कार्यालय में चोरी हुई थी. संपत्ति के धंधे में नव धनाड्य वर्ग तो है ही, साथ ही ऐसे लोग भी हैं जो हाल के वर्षो में भागलपुर में आकर बसे हैं. पिछले एक दशक में देखते ही देखते शहर की कई सामाजिक कार्यो वाली संपत्ति पर बहुमंजिली इमारत खड़ी हो गयी.

संपत्ति के कारोबार में जिस तरह से दिलचस्पी बढ़ी, उसी तरह इसकी कीमतों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है. सूत्र बताते हैं कि यह सिंडिकेट उन संपत्तियों पर नजर गड़ाता है या जिस पर पारिवारिक या किसी तरह का विवाद हो. उसे औने-पौने दाम में खरीदता है या फिर अपने रसूख का इस्तेमाल कर उस पर कब्जा जमा लेता है. उन संपत्तियों पर भी नजर रहती है जिसके मालिक कमजोर होते हैं. उन्हें डरा- धमका कर संपत्ति बेचने को मजबूर किया जाता है. इसके पहले शहर में मकान बनाने या जमीन खरीदने पर उस इलाके में सक्रिय अपराधी या उचक्के सुविधा शुल्क मांगते थे. शहर में भूमि विवाद में कई लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ा. भू माफिया को पुलिस का पूरा संरक्षण मिलता है. इस वजह से कई बातें सामने आती हैं और कई बातें दब जाती हैं.

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