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हाइकोर्ट व निचली अदालत के दस्तावेज तलब किये

भागलपुर दंगा मामला सुप्रीम कोर्ट में 23 मार्च को केस के सूचीबद्ध होने की संभावना भागलपुर : सुप्रीम कोर्ट ने भागलपुर दंगा से जुड़े एक मामले की सुनवाई को लेकर पटना हाइकोर्ट व निचली अदालत से कागजात तलब किये हैं. राज्य सरकार द्वारा किशोर की हत्या में दोषी करार कामेश्वर प्रसाद यादव को आरोप मुक्त […]

भागलपुर दंगा मामला

सुप्रीम कोर्ट में 23 मार्च को केस के सूचीबद्ध होने की संभावना

भागलपुर : सुप्रीम कोर्ट ने भागलपुर दंगा से जुड़े एक मामले की सुनवाई को लेकर पटना हाइकोर्ट व निचली अदालत से कागजात तलब किये हैं. राज्य सरकार द्वारा किशोर की हत्या में दोषी करार कामेश्वर प्रसाद यादव को आरोप मुक्त करने के मामले में शीर्ष अदालत में अपील की गयी है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 23 मार्च को केस के सूचीबद्ध होने व सुनवाई की संभावना है. हाइकोर्ट में पिछले साल जून में उक्त आरोपित के मुक्त किया था. भागलपुर दंगे (1989) में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने 16 अक्तूबर 2017 को अर्जी को स्वीकार किया था. राज्य सरकार ने दाखिल याचिका में मामले को जल्द से जल्द निबटाने का आग्रह किया था. सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी और शोएब आलम ने सरकार का पक्ष रखा था. उन्होंने दलील दी थी कि एफआइआर में देरी के आधार पर आरोपित को बरी करने का हाइकोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण है. सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामलों में आमतौर पर एफआइआर दर्ज होने में वक्त लगता है,

क्योंकि लोग सामने आने से डरते हैं. पुलिस ने हत्या की घटना के तीन महीने बाद केस दर्ज किया था. शोएब आलम ने बताया था कि पीड़ित मुहम्मद कयामुद्दीन के पिता और भाई अपराध के प्रत्यक्षदर्शी थे. उनके बयानों को झुठलाया नहीं जा सकता है, क्योंकि उनके बयानों की पुष्टि स्वतंत्र गवाहों से भी हुई है. कामेश्वर यादव को पहली बार वर्ष 2007 में गिरफ्तार किया गया था.

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