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बढ़े दर व चुनाव से भूमि रजिस्ट्री की गति सुस्त

भागलपुर: जमीन के न्यूनतम सरकारी मूल्य में वृद्धि व आम चुनाव के कारण जिला में जमीन निबंधन की रफ्तार सुस्त हो गयी है. रेट बढ़ने से पूर्व जहां प्रतिदिन 75 से अधिक दस्तावेजों का निबंधन (जमीन रजिस्ट्री) होता था, वहीं फिलहाल स्थिति एकदम उलट हो गयी है. आज कल स्थिति यह है कि एक दिन […]

भागलपुर: जमीन के न्यूनतम सरकारी मूल्य में वृद्धि व आम चुनाव के कारण जिला में जमीन निबंधन की रफ्तार सुस्त हो गयी है. रेट बढ़ने से पूर्व जहां प्रतिदिन 75 से अधिक दस्तावेजों का निबंधन (जमीन रजिस्ट्री) होता था, वहीं फिलहाल स्थिति एकदम उलट हो गयी है. आज कल स्थिति यह है कि एक दिन में औसतन 30 से 35 रजिस्ट्री ही हो रही है.

जिला निबंधन कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अप्रैल माह से ही रजिस्ट्री में कमी आयी है. मार्च माह में औसतन प्रतिदिन एक सौ लोग रजिस्ट्री कराते थे, लेकिन अप्रैल माह में अचानक यह आंकड़ा काफी कम हो गया और फिलहाल तकरीबन 30 से 40 लोग ही जमीन की रजिस्ट्री करा रहे हैं. इसके पीछे जमीन के न्यूनतम मूल्य में करीब 20 प्रतिशत तक की वृद्धि और लोकसभा चुनाव को वजह बताया जा रहा है. हालांकि जमीन खरीद-बिक्री का कारोबार करनेवालों का कहना है कि जमीन के न्यूनतम मूल्य (एमवीआर) में भारी वृद्धि के कारण ही लोग फिलहाल रजिस्ट्री नहीं करवा रहे हैं.

जो लोग जमीन खरीद भी चुके हैं, वह भी फिलहाल रजिस्ट्री नहीं करवा पा रहे हैं. निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री कराने पहुंचे शाहकुंड के आलोक सिंह ने बताया कि उन्होंने मार्च माह में जमीन खरीदी थी, लेकिन तत्काल रजिस्ट्री नहीं करवा पाया. बाद में अप्रैल माह में अचानक एमवीआर में काफी वृद्धि हो जाने के कारण पैसे की कमी हो गयी. अब एक माह तक किसी तरह पैसे का इंतजाम करने के बाद निबंधन शुल्क आदि जमा कराया है. जिला अवर निबंधक सत्यनारायण चौधरी ने भी स्वीकार किया कि फिलहाल जमीन की रजिस्ट्री काफी कम हो रही है. मार्च या उससे पहले के माह में औसतन 60 से 70 रजिस्ट्री हो जाती थी, लेकिन इन दिनों करीब 30 से 35 रजिस्ट्रियां ही हो रही है. हालांकि इसके पीछे वह लोकसभा चुनाव को कारण मानते हैं.

नहीं पूरा हुआ लक्ष्य
वित्तीय वर्ष 2013-14 में जिला निबंधन कार्यालय को रजिस्ट्री मद में करीब 124 करोड़ की वसूली का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन जिला में रजिस्ट्री के मद में लगभग 95 करोड़ रुपये की ही वसूली हो पायी थी. इसके पिछले वर्ष (2012-13) जिला का लक्ष्य 84 करोड़ रुपये ही था. एमवीआर में वृद्धि के कारण लक्ष्य को भी बढ़ा कर 124 करोड़ रुपये कर दिया गया था, लेकिन संभवत: रेट बढ़ने के कारण अपेक्षा के अनुरूप लोगों ने जमीन की रजिस्ट्री नहीं करायी.

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