कौन सुनेगा. जर्जर एनएच 80 ने छीन लिया भागलपुर के बड़े इलाके का सुख-चैन
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व्यवसाय तबाह, लोग हो रहे बीमार, सबने कहा : काश इधर नहीं आते, कहीं और जाते
कौन सुनेगा. जर्जर एनएच 80 ने छीन लिया भागलपुर के बड़े इलाके का सुख-चैन भागलपुर : एनएच 80 की खराब स्थिति के कारण घंटाघर से जीरोमाइल होते हुए सबौर, पीरपैंती तक सड़क की स्थिति काफी खराब है. इस कारण इलाके में सब कुछ बर्बाद हो चुका है. एक बार इस इलाके से गुजरने के बाद […]
भागलपुर : एनएच 80 की खराब स्थिति के कारण घंटाघर से जीरोमाइल होते हुए सबौर, पीरपैंती तक सड़क की स्थिति काफी खराब है. इस कारण इलाके में सब कुछ बर्बाद हो चुका है. एक बार इस इलाके से गुजरने के बाद हालत खराब होने लगता है. इस इलाके में रहनेवाले लोगों की स्थिति भी ठीक नहीं है. जिन लोगों ने व्यवसाय शुरू किया है उनका धंधा चौपट हो चला है. परेशान हैं इस इलाके के बिल्डर, उनके फ्लैट बुक नहीं हो पा रहे हैं. कई बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट को आधे पर ही रोक दिया है. इसका परिणाम है कि जो कुछ लोगों ने घर बुक भी कराया है, वो भी फंस गये हैं. इलाके में क्षय रोग और दमा के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. सड़क के कारण हालत किस कदर बदले हैं, कहां क्या दिक्कत है, इन्हीं मुद्दे की प्रभात खबर के पत्रकार ने पड़ताल की है. प्रस्तुत है जो हमने देखा, जो सुना उस पर एक रिपोर्ट.
उड़ती धूल से जीरोमाइल स्थित पुलिस अस्तबल के घोड़े भी हैं परेशान
जिन लोगों ने बुक करा लिया है आवास वो भी फंस गये हैं, क्योंकि अन्य फ्लैट नहीं बुक होने के कारण नहीं बना पा रहे फ्लैट
बीमार लोगों की बढ़ी संख्या, क्षय रोग और दमा के पीड़ित बढ़े
भागलपुर का विकास भी रुका, इसी इलाके में ज्यादा बढ़ना था शहर को
बारबार नेता कहते रहे हैं हो जायेगा सब ठीक
घर कोई आना नहीं चाहता है
अनाप-शनाप खर्च, फिर भी नहीं सुधरा हाइवे
तिलकामांझी से सबौर एनएच 80 पर हुआ खर्च
फैक्ट फाइल
2010 02.28 करोड़
2014 10.59 करोड़
2016 30 लाख
2017 54.72 लाख (रुका है निर्माण कार्य)
2017 11 करोड़ ( रोड निर्माण का डीपीआर भेजा है मंत्रालय )
लोग नहीं लेना चाहते हैं अपार्टमेंट : मंटू झा
एक अपार्टमेंट के मालिक मंटू झा कहते हैं कि सबौर रोड के किनारे यह उनका 40 फ्लैट बन कर तैयार है. लोग रह भी रहे हैं. लेकिन अब उनके दूसरे प्रोजेक्ट में लोग आना नहीं चाहते. कई लोग एक बार आने के बाद दूसरी बार नहीं आते. प्रदूषण के कारण लोग सबौर रोड के किनारे रहना नहीं चाहते. सरकार व संबंधित विभाग ने 19 मार्च 2018 तक तिलकामांझी-सबौर रोड को बनाने के निर्देश दिये हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं दिखता.
बदतर सड़कों ने सपनों पर फेरा पानी
प्रोपराइटर गोरेलाल मंडल कहते हैं कि उन्होंने यह प्रोजेक्ट इसलिए शुरू किया था कि लोग कनेक्टिविटी में रहेंगे. यहां से सभी महत्वपूर्ण स्थानों की दूरी कम है, लेकिन बदतर सड़क ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया.
अब नहीं बनायेंगे अपार्टमेंट
स्थानीय अपार्टमेंट के प्रोपराइटरों का कहना है कि अब वह आगे इस धंधे में पैसा नहीं लगायेंगे. इस व्यवसाय ने नुकसान पहुंचाया. अब वह दूसरा व्यवसाय करेंगे. प्रदूषण और जर्जर सड़क ने उनके व्यवसाय को खत्म कर दिया है. दूसरे प्रोजेक्ट में पांच साल से ज्यादा लग गये. ऐसे में व्यवसाय कैसे करेंगे.
प्रदूषण के कारण परिवार साथ नहीं रखना चाहते कृषि वैज्ञानिक
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ रामानुज विश्वकर्मा कहते हैं कि प्रदूषण की वजह से उनका जीना मुहाल हो गया है. जीरोमाइल के पास से मात्र दो किलोमीटर का सफर तय कर वह बीएयू आते हैं, प्रदूषण के कारण उनको सांस लेने में दिक्कत होने लगी है. अब प्रदूषण के कारण वह अपने परिवार को नहीं लेकर आ रहे हैं. शिवगंगा अपार्टमेंट में रहते हैं लेेकिन बंद कमरें में धूल ही धूल भरी रहती है. जब भी परिवार आते हैं, तो कुछ ही दिनों में पत्नी-बच्चे जाने की जिद्द करने लगते हैं. ऐसे में नौकरी करना दूभर होता जा रहा है.
प्रदूषण के कारण जीना है मुश्किल : नीलू कुमारी
जीरोमाइल में रहनेवाली शिक्षिका नीलू कुमारी कहती हैं कि प्रदूषण ने उनका जीना मुहाल कर दिया है. प्रदूषण इतना है कि उनके कमरे में चारों ओर धूलकण फैला रहता है. कपड़ा कुछ ही देर में गंदा नजर आने लगता है.
हवाईअड्डा निवासी नीतू कहती हैं कि यह रोड इतना खराब है कि उनका कोचिंग जाना मुश्किल हो गया है. सड़कों में टेंपो लेने में उन्हें काफी परेशानी होती है. लगता है कहीं बीमारी न हो जाये. सरकार को यह सड़क जल्द से जल्द बनाना चाहिए, जिससे लोगों को स्वच्छ वातावरण में आवागमन हो सके.
क्या कहते हैं दुकानदार
मो शमशाद कहते हैं कि वह पिछले दो महीने से हवाई अड्डा के पास दुकान लगा रहे हैं. वह उत्तर प्रदेश से भागलपुर आये कि कुछ पैसे कमा लेंगे, लेकिन यहां आना नुकसान का सौदा हो रहा है. गंदगी और प्रदूषण के कारण उनका धंधा चौपट हो गया है.
साइकिल दुकानदार 62 वर्षीय बंटू ने बताया कि पिछले 15 सालों से उनकी हवाई अड्डे के पास साइकिल दुकान हैं. शुरू में तो सब ठीक रहा, लेकिन अब वह बीमार रहने लगे हैं. खांसी ने उनका जीना मुहाल कर दिया है. रोजाना वह साइकिल मरम्मत कर 500 रुपये तक कमा लेते थे. सड़क खराब होने के कारण अब उनकी दुकानदारी खत्म हो गयी है. मात्र 100 रुपये रोजाना अब कमा पाते हैं.
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