भागलपुर: राजकीय श्रीमती पीटी मध्य विद्यालय, तिलकामांझी के बूथ संख्या 206, 207, 208 का चक्कर लगा रही विक्रमशिला कॉलोनी निवासी ऊषा देवी के चेहरे पर मतदान नहीं कर पाने का दुख व व्यवस्था के प्रति गुस्सा साफ झलक रहा था. हाथ में फोटोयुक्त मतदाता पहचान पत्र (इपिक) लेकर हर बूथ पर वह घूम रही थी. उसने बताया कि पिछले चुनाव में उन्होंने मतदान किया था.
इस बार भी उसके बेटे व देवर का नाम मतदाता सूची में है, लेकिन उसका नाम काट दिया गया. यही हाल आदर्श मतदान केंद्र नगर निगम का चक्कर लगा रही संत टेरेसा स्कूल की शिक्षिकाओं का भी था. शिक्षिका सिस्टर सिलवी, पीके मार्गेट व एमजे एलासी ने बताया कि 2009 के लोस चुनाव में उन्होंने मतदान किया था. लेकिन इस बार उन लोगों का नाम मतदाता सूची से काट दिया गया, जबकि उनके पास इपिक है.
घर से नहीं निकले वोटर:तमाम प्रयास व जागरूकता अभियान के बावजूद शहरी क्षेत्र (भागलपुर विधानसभा क्षेत्र) के मतदाता अपेक्षा के अनुरूप घरों से नहीं निकले. मतदान शुरू होते ही बूथों पर लाइन लगनी शुरू हो गयी, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, सूर्य की तपिश के आगे वोटर बेबस होते गये. 11 बजते-बजते शहरी क्षेत्र के अधिकांश बूथ खाली होने लगे. 12 बजे तक कुछ बूथों को छोड़ दिया जाये तो अधिकतर बूथों पर मतदान कर्मी आराम की ही मुद्रा में बैठे थे. आलम यह था कि दो बजे तक भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में मात्र 37 प्रतिशत ही मतदान हुआ था. आलम यह था कि मतदान शुरू होने के बाद पांच घंटे में (मध्याह्न् 12 बजे तक) जहां 33 प्रतिशत मतदान हो चुका था, वहीं अगले पांच घंटे (शाम पांच बजे तक) में 20 प्रतिशत भी मतदान नहीं हुआ.
सुबह लगी थी लंबी कतार : मतदाताओं को सूर्य की तपिश का अंदाजा था, इसलिए वह सुबह सात बजे ही घरों से निकल कर मतदान केंद्र तक पहुंचने लगे थे. हिंदी मध्य विद्यालय उर्दू बाजार के मतदान केंद्र पर अपना वोट देने के लिए बुजुर्ग रामसर, कुम्हार टोली निवासी सुलोचना देवी (95) पोता के सहारे रिक्शा से सुबह आठ बजे ही पहुंच चुकी थी, लेकिन उसके पहुंचने से पूर्व ही मतदान केंद्र पर 100 से अधिक महिला-पुरुष कतारबद्ध थे. यही हाल अधिकांश मतदान केंद्रों का भी था.