दो दिन पहले सुल्तानगंज के गंगा घाट किनारे एक झाड़ी में नवजात बच्ची को कोई फेंक गया था. रोती-चिल्लाती बच्ची को जब जब उर्वशी देवी ने देखा तो उसका ममता और मातृत्व जाग उठा. उसने तुरंत बच्ची को अपने आंचल में समेट लिया और इलाज के लिए उसे रेफरल अस्पताल ले गयी. फिर अपने खर्च से उसका इलाज शिशु रोग विशेषज्ञ से कराया. इसके बाद शनिवार को उर्वशी देवी अपने पति आशीष मिश्रा के साथ सुलतानगंज थाना पहुंची. थाना में पुलिस ने कागजी कार्रवाई के बात बच्ची को उसके पास रहने दिया. रविवार को अखबार में खबर प्रकाशित होने के बाद चाइल्ड हेल्पलाइन भागलपुर से दो सदस्य गुंजन कुमारी व सौरव कुमार सुलतानगंज थाना पहुंचे.
उन्होंने नवजात को चाइल्ड लाइन के हवाले करने का अनुरोध किया. थानाध्यक्ष संजय कुमार ने इसकी सूचना उर्वशी देवी को फोन से दी, तो वह डबडबायी आंखों से बच्ची को गोद में लिये थाना पहुंची. थानाध्यक्ष ने उसे कानून की विवशता का हवाला देते हुए बच्ची सौंपने का आग्रह किया. उर्वशी देवी, उसके पति व घर के अन्य परिजनों ने बच्ची को अपने पास रखने की गुहार चाइल्ड हेल्पलाइन और पुलिस से लगायी. लेकिन, कानूनी प्रक्रिया के आगे सभी विवश थे.
अंततः उक्त बच्ची को चाइल्ड हेल्पलाइन को सौंपना पड़ा. दो दिन का ही जिसका साथ रहा, उस बच्ची को सौंपते समय मां की आंखें छलक आयीं. उस वक्त थाना परिसर में माहौल गमगीन हो गया. रोती-बिलखती उर्वशी देवी ने कहा कि 24 घंटे में ही यह मेरी बेटी बन गयी थी. रात भर जागकर इसकी देखभाल की. इसकी किलकारियाें की गूंज से मेरे घर में खुशी का माहौल था. उर्वशी देवी की बेटी गुंजा ने कहा दो दिनाें में ही मुझे लगने लगा था कि मेरी एक और बहन आ गयी है. उर्वशी देवी और उनके पति ने चाइल्ड हेल्पलाइन से कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्ची देने का अनुरोध किया.