भागलपुर: जिला के मनरेगा कर्मियों से उप विकास आयुक्त (डीडीसी) राजीव प्रसाद सिंह रंजन बातचीत करेंगे. मनरेगा कर्मियों द्वारा सामूहिक रूप से इस्तीफा दिये जाने की जानकारी मिलने के बाद डीएम प्रेम सिंह मीणा ने बातचीत कर उनकी समस्या से अवगत होने के लिए डीडीसी को अधिकृत किया है. डीएम श्री मीणा ने बताया कि डीडीसी के साथ बातचीत के बाद इस संबंध में आगे की कार्रवाई की जायेगी.
जिला के सभी मनरेगा कर्मियों ने मंगलवार को ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव को अपना इस्तीफा भेज दिया था. इसकी एक प्रति डीएम को भेजते हुए उनसे अभिलेख व अन्य कागजात समर्पित करने के लिए निर्देश मांगा था. अपने त्यागपत्र में सभी मनरेगा कर्मियों ने योजनाओं की जांच के नाम पर वरीय पदाधिकारियों द्वारा भयादोहन का आरोप लगाया है. इस्तीफा देने वालों में कार्यक्रम पदाधिकारी (पीओ), लेखापाल, कनीय अभियंता (जेइ), पंचायत रोजगार सेवक (पीआरएस), पंचायत तकनीकी सहायक (पीटीए) व कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं.
इस्तीफा से लोकपाल का संबंध नहीं
मनरेगा के लोकपाल मंसूर अहमद ने मनरेगा कर्मियों द्वारा सामूहिक रूप से दिये गये इस्तीफे को विशुद्ध रूप से विभागीय मसला बताया है. उन्होंने कहा कि इससे लोकपाल का कोई संबंध नहीं है. लोकपाल ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गठित एवं स्वतंत्र प्राधिकार है.
उन्होंने कहा कि प्रखंड में कार्यरत कार्यक्रम पदाधिकारियों द्वारा शिकायत पंजी का संघारण नहीं किया जाता है और न तो स्थानीय स्तर पर शिकायतों का निष्पादन किया जाता है. योजनाओं के कार्यान्वयन में पंचायत रोजगार सेवक एवं कार्यक्रम पदाधिकारियों द्वारा भी ईमानदारी नहीं बरती जा रही है.
श्री अहमद ने बताया कि पिछले दिनों सन्हौला प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी धर्मेद्र कुमार चौधरी व ग्राम पंचायत बड़ी नाकी के पीटीए रघुनंदन सिंह के विरुद्ध एक लाख रुपये के गबन करने, अभिलेख को छिपाने व नष्ट करने के आरोप में एफआइआर दर्ज कराने के लिए डीएम व डीडीसी को लिखा गया था. इसलिए प्रखंड कार्यालय में कार्यरत मनरेगा कर्मी लोकपाल से नाराज हैं. उन्होंने कहा कि प्रखंड में पदस्थापित मनरेगा कर्मियों की नाराजगी इस बात से भी है कि लोकपाल को प्राप्त शिकायत के आलोक में उत्तरवादी बनाने के दस्तावेज की मांग की जाती है.
योजनाओं की जांच के पूर्व जानकारी पंचायत रोजगार सेवक, कार्यक्रम पदाधिकारी व मुखिया को नहीं दिये जाने के कारण भी वह नाराज हैं. क्योंकि पूर्व जानकारी नहीं होने के कारण उनके ठेकेदार व बिचौलिया वहां पहुंच पाते हैं और जनता निडर होकर अपनी बात रखती है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि सुलतानगंज प्रखंड के करहरिया पंचायत की 35 लाख की एक योजना में उन्होंने निर्णय पारित होने तक राशि निकासी पर रोक लगा दी थी, जिसके कारण प्रखंड के मनरेगा कर्मी उनसे नाराज हैं.