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रेलवे का हाल: जनरल टिकट लेकर स्लीपर में सफर करते हैं यात्री, भेड़-बकरी की तरह लद कर सफर मजबूरी

भागलपुर: रेलवे सार्वजनिक परिवहन का बड़ा माध्यम है. लेकिन, पर्व-त्योहारों में इसकी हालत बेहद खराब हो जाती है. लेटलतीफी से लेकर आरक्षित बोगियों में क्षमता से अधिक सवारी रेल यात्रा को दुर्गम बना देते हैं. फिलवक्त रेलवे प्रशासन सुविधाओं पर कम, कमाई पर अधिक फोकस है. बिना सोचे-समझे क्षमता से अधिक जनरल टिकट काट दिये […]

भागलपुर: रेलवे सार्वजनिक परिवहन का बड़ा माध्यम है. लेकिन, पर्व-त्योहारों में इसकी हालत बेहद खराब हो जाती है. लेटलतीफी से लेकर आरक्षित बोगियों में क्षमता से अधिक सवारी रेल यात्रा को दुर्गम बना देते हैं. फिलवक्त रेलवे प्रशासन सुविधाओं पर कम, कमाई पर अधिक फोकस है. बिना सोचे-समझे क्षमता से अधिक जनरल टिकट काट दिये जाते हैं.

किराया बढ़ा कर यात्रियों पर बोझ डाल दिया जाता है. लेकिन, सुविधा के नाम पर भेंड़-बकरियों की तरह सफर करने की मजबूरी. छठ खत्म होने के बाद भागलपुर से महानगरों के लिए खुलने वाली ट्रेनों का भी यही हाल है. एक्सप्रेस ट्रेनों के एसी व स्लीपर कोच में बर्थ की अपनी एक दायरा हैं और बर्थ फुल होने के बाद एक निर्धारित सीमा तक वेटिंग टिकट बुक करने का प्रावधान है. अमूमन वेटिंग टिकट वाले यात्री काउंटर से टिकट बुक कराते हैं, ताकि कंफर्म नहीं होने के बावजूद सफर कर सकें. वहीं, जनरल टिकट बुक करने की कोई सीमा निर्धारित नहीं है. वेटिंग टिकट लेकर सफर करने का प्रावधान नहीं है, फिर भी यात्री वेटिंग टिकट लेकर यात्रा करते हैं.

महानगरों में रहने वाले लोग छठ पूजा में जैसे-तैसे घर पहुंच तो गये, लेकिन पर्व खत्म होते ही लौटने वालों की भीड़ बढ़ गयी है. संभावित भीड़ को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने पूजा स्पेशल ट्रेनें भी चलायीं, लेकिन वे भी पर्याप्त नहीं हैं. पूजा स्पेशल ट्रेनों में भी अगले दो-तीन दिनों तक बर्थ उपलब्ध नहीं हैं. भागलपुर से जाने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस, दादर एक्सप्रेस, साप्ताहिक एक्सप्रेस, गरीब रथ, यशवंतपुर एक्सप्रेस सहित कई एक्सप्रेस ट्रेनों में वेटिंग तीन सौ को पार कर गया है. शनिवार को तो विक्रमशिला एक्सप्रेस में नो रूम हो गया है और बाकी ट्रेनों के स्लीपर में ढाई से तीन सौ वेटिंग है . रेल यात्री वेटिंग टिकट या फिर जनरल टिकट लेकर स्लीपर में जुर्माना देकर जाने को मजबूर हैं.
चार एक्सप्रेस ट्रेनों में लगे बायो-टॉयलेट
पूरे देश में केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान का असर अब भारतीय रेल पर देखने को मिल रहा है. अभी तक ट्रेनों में लगे शौचालय के मल-मूत्र ट्रैक पर ही गिरते थे. अब ट्रैक पर कोई गंदगी न गिरे, इसके लिए दूर तक की जाने वाली ट्रेनों में बायो-टॉयलेट का लगना शुरू हो गया है. मालदा डिवीजन में सबसे अधिक आय देने वाले भागलपुर रेलवे स्टेशन से खुलनेवाली एक्सप्रेस ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगना शुरू हो गया है. विक्रमशिला एक्सप्रेस, दादर एक्सप्रेस, वनांचल एक्सप्रेस और जनसेवा एक्सप्रेस में बायो-टॉयलेट लग गया है. आने वाले दिनों में सभी एक्सप्रेस ट्रेनों में इसे लगाया लायेगा. गया-हावड़ा, जमालपुर-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेनों के कुछ रैक में यह सिस्टम लगाया गया है. आनेवाले दिनों में इसे ट्रेन की सभी बोगियों में लगाया जायेगा. बायो-टॉयलेट लगने से ट्रैक पर गिरने वाले गंदगी से नहीं गिरेगी.
गेट के ऊपर व शौचालय में खड़े रहते हैं यात्री
रविवार को सुबह के 11:15 बजे भागलपुर जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या एक से आनंद विहार टर्मिनल तक जाने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस में काफी भीड़ थी. स्लीपर, एसी और जनरल कोच सभी खचाखच भरी थी. एलएचबी कोच होने के कारण सामान्य कोच की संख्या तीन की जगह अब एक हो गयी है, जिससे एक ही बोगी में भेड़-बकरी की तरह लोग भरे हुए थे. अगर कोई भीतर है तो वह बाहर नहीं निकल सकता है. इतनी अधिक भीड़ थी. एसी कोच में भी पटना तक जाने वाले लोग चढ़ गये थे. पूरी बोगी फुल हो गयी थी. ट्रेन प्लेटफॉर्म पर रुकते ही सवार होने वाले यात्रियों की जद्दोजहद शुरू हो गयी. स्लीपर कोच के एक बर्थ पर तीन यात्रियों के बैठने की जगह निर्धारित है, जिस पर पांच से छह यात्री बैठे थे. वहीं, जनरल कोच में पैर रखने तक की जगह नहीं थी. स्थिति यह थी कि कोई यात्री गेट के ऊपर तो कई यात्री गमछा का झूला बना कर बैठा था.

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