भागलपुर: शायद आप भूले नहीं होंगे हर साल बरसात के दिनों में पूरे परिवार, थोड़े अनाज और ढेर सारे पशुओं के साथ दो महीने तक सबौर से कहलगांव की ओर जानेवाली सड़कों के दोनों किनारे रहनेवाले बाढ़ पीड़ितों का जीवन. उन्हीं बाढ़ पीड़ितों का दो गांव है बाबूपुर और रजंदीपुर.
यहां गंगा की धारा तय करती है कि इस साल समाज के कितने लोगों को कहीं और जाकर बसना होगा और जीवन भर साथ बिताये कितने लोगों से विदा लेना होगा. हर साल गंगा मइया इनकी तकदीर लिखती है. इन तमाम झंझावातों के बाद भी इस चुनाव में यहां के लगभग 1500 मतदाताओं के बीच इस बात का उत्साह है कि एक अच्छा जनप्रतिनिधि चुनेंगे और फिर गांव में नया सवेरा जरूर आयेगा.
गोटियों के खेल में बीत रहा बचपन
दो साल पहले ही प्राथमिक विद्यालय लालूचक गंगा में विलीन हो गया. अब यह विद्यालय संतनगर विद्यालय में चलता है. स्कूल थोड़ी दूर है. बच्चे जाते तो हैं, लेकिन कुछ का दिन भर गोटियों के खेल में दिन बीत जाता है.