पटना/भागलपुर: राज्य के बहुचर्चित सृजन घोटाले मामले में सीबीआइ की जांच काफी आगे बढ़ गयी है. जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इसमें शामिल लोगों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है और काले कारनामों का पुलिंदा काफी संख्या में सामने आ रहा है.
अब तक की जांच के बाद सीबीआइ को कई अहम तथ्य हाथ लगे हैं, जिनमें राजनीतिक हस्तियों से लेकर कई अधिकारियों के खिलाफ बड़े स्तर पर मिली-भगत सामने आयी है. अब सीबीआइ इस घोटाले में कुछ नये आरोपितों की गिरफ्तारी करने का सिलसिला शुरू करने जा रही है. फिलहाल इसकी शुरुआत राजनीतिक क्षेत्र से ताल्लुक रखनेवाले इस घोटाले के एक मुख्य आरोपित से की जा सकती है. इनकी गिरफ्तारी जल्द हो सकती है. इसके बाद बचे हुए अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी भी कुछ-कुछ अंतराल पर शुरू हो सकती है.
प्राप्त सूचना के अनुसार, इस मामले की जांच कर रही सीबीआइ की टीम में शामिल एएसपी एसके मल्लिक नयी दिल्ली गये हुए हैं. वे अपने साथ इस मामले में अब तक की गयी जांच से जुड़े तमाम दस्तावेजों को भी साथ लेकर गये हैं. संभावना व्यक्त की जा रही है कि इन तमाम दस्तावेजों पर अपने संबंधित अधिकारियों के साथ उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें. इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जायेगी. यह फाइनल स्टेप हो सकता है, आगे की बड़ी कार्रवाई का.
रेलवे होटल आवंटन : तीसरी बार लालू नहीं हुए पेश, तो हो सकती है बड़ी कार्रवाई
रेलवे होटल आवंटन मामले में सीबीआई ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के खिलाफ तीसरी बार समन जारी कर पेश होने को कहा है. इस बार लालू प्रसाद को तीन अक्तूबर और उनके छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को चार अक्तूबर को नयी दिल्ली बुलाया गया है. अगर इस बार भी पिता-पुत्र नयी दिल्ली स्थित सीबीआइ कार्यालय में अपना पक्ष नहीं रखते हैं, तो हो सकता है कि उन्हें आगे अपनी बात रखने का कोई मौका सीबीआई नहीं दे. इससे पहले दो बार सीबीआई लालू प्रसाद और तेजस्वी को समन जारी कर पूछताछ के लिए नयी दिल्ली बुला चुकी है, लेकिन हर बार कोई-न-कोई कारण बता कर वे हाजिर नहीं हुए. अगर तीसरी बार भी वे हाजिर नहीं होते हैं, तो पिता-पुत्र की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. उनके खिलाफ कोई भी बड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. सीबीआई ऐसी कोई भी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी. इन दोनों की या किन्ही एक भी गिरफ्तारी भी हो सकती है. यह गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है या कागजी स्तर पर अन्य कई ठोस कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.
लालू प्रसाद व तेजस्वी को पहली बार 11 व 12 अगस्त और दूसरी बार 25 व 26 सितंबर को बुलाया गया था. एक बार रैली का, तो दूसरी बार किसी अन्य बात का बहाना बता कर दोनों सीबीआई के समक्ष हाजिर नहीं हुए. इस बार तीसरी बार उन्हें मौका दिया गया है.
लालू प्रसाद के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान रेलवे के चार-पांच प्रमुख होटलों की नीलामी में बड़े स्तर पर धांधली और कमीशनखोरी के मामले में सीबीआई ने पांच जुलाई, 2017 को एफआईआर दर्ज की थी. इसमें लालू प्रसाद, पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत आठ को अभियुक्त बनाया गया है. इसके बाद उनके पटना स्थित आवास पर करीब 10 घंटे तक सर्च भी किया गया था, जिसमें दर्जनों कागजात समेत अन्य सामान जब्त किये गये थे. एफआईआर दर्ज होने के बाद 90 दिनों की मियाद पांच अक्तूबर को पूरी होने जा रही है. ऐसे में सीबीआई पर भी दबाव है कि वह इस मामले की केस डायरी जल्द-से-जल्द कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे.