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दोषारोपण बंद करें, तर्क व सबूत के साथ आयें

भागलपुर: कुछ बैंक व प्रशासनिक अफसरों से पूछताछ में सीबीआइ ने सख्ती दिखायी. सीबीआइ ने बैंक और प्रशासनिक अधिकारियाें से सीधे तौर पर कहा कि जिस किसी की भी गलती से सरकारी खाते की राशि की लूट हुई है, उसका नाम हमें लिखित में चाहिए. मौखिक दोषारोपण बंद कीजिए. तर्क व सबूत के साथ उस […]

भागलपुर: कुछ बैंक व प्रशासनिक अफसरों से पूछताछ में सीबीआइ ने सख्ती दिखायी. सीबीआइ ने बैंक और प्रशासनिक अधिकारियाें से सीधे तौर पर कहा कि जिस किसी की भी गलती से सरकारी खाते की राशि की लूट हुई है, उसका नाम हमें लिखित में चाहिए. मौखिक दोषारोपण बंद कीजिए. तर्क व सबूत के साथ उस व्यक्ति का नाम चाहिए, जो सीधे तौर पर सृजन घोटाले से जुड़े है.

यह वाकया शनिवार देर शाम पूछताछ के दौरान की है. सीबीआइ ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि जिस विभागों के पैसे गायब हुए हैं, उनके प्रमुख लिखित देकर बतायें कि बैंकों से कहां, कब और कैसे गलती हुई है. सरकारी खाते में जाने वाली राशि सृजन खाते में कैसे चली जाती थी. वह कौन-कौन से बैंक कर्मी है, जिनकी मिलीभगत से योजना से संबंधित फंड सरकारी बैंक खाते में जाने के बदले सृजन खाते में चली गयी. इससे पहले कि अधिकारी इस पर कुछ जवाब देते, सीबीआइ ने कहा कि मौखिक दोषारोपण का कोई मायने नहीं है. जिस पर शक है, उसका नाम लिखित में दीजिए, ताकि जांच में घोटाले से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका तय कर सके.

सीबीआइ को नहीं मिल रहा बैंक अधिकारियों से संतोषप्रद जवाब : सीबीआइ के तलब पर कुछ बैंककर्मी शनिवार को पहुंचे थे. उनसे बार-बार चेक से संबंधित सवाल पूछे जा रहे थे, लेकिन उनके जवाब से सीबीआइ संतुष्ट नहीं हो सकी. सीबीआइ ने कहा कि जो चेक सृजन को इंडोर्स किया गया है, उस पर दस्तखत सही है या फर्जी. दस्तखत सही है, तो लिखित जवाब दीजिए, ताकि उस दिशा में जांच आगे बढ़ाया जा सके. चेक के दस्तखत पर शक है तो वह भी लिखित दीजिए.

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