भागलपुर/जगदीशपुर: गोराडीह प्रखंड स्थित कमालचक वासियों ने आरडीडी डॉ सुधीर कुमार महतो व सिविल सजर्न डॉ यूएस चौधरी के आश्वासन पर मंगलवार को अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलायी. करीब डेढ़ घंटे के भावनात्मक बातों का हवाला देकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाया, तब ग्रामीण अपने बच्चों को दवा पिलाने को तैयार हुए.
आरडीडी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि चुनाव नतीजे के बाद गांव में सड़क निर्माण के मुद्दे को जोरदार ढ़ंग से उठाया जायेगा, और इसका निदान किया जायेगा. आरडीडी व सीएस ने बताया किगांव वाले मान गये हैं, कुछ बच्चों को दवा पिलायी गयी है, तीन दिन के अंदर सभी बच्चों को दवा पिला दी जायेगी. सोमवार को ग्रामीणों ने गांव में सड़क निर्माण पूरा नहीं होने की वजह से अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने से इनकार कर दिया था. इस मौके पर समाजसेवी डॉ फारुक अली, यूनिसेफ के पदाधिकारी निगार कौशर सहित अन्य मौजूद थे.
पंचायत के मुखिया अनिरुद्ध महतो ने बताया कि ग्रामीणों की मांगें जायज हैं. लेकिन जिस रास्ते पर ग्रामीण सड़क बनवाने की मांग कर रहे है, उस जमीन को गांव का एक व्यक्ति अपनी निजी जमीन बता रहा है. जांच के बाद ही वास्तविकता का पता चलेगा.
ग्रामीणों ने कहा, आश्वासन पर नहीं हुआ पहल. कमालचक में मामला सुलझने के बाद प्रखंड के गोहारियो गांव के लोगों ने भी रास्ते की मांग को लेकर पल्स पोलिया कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया. लोगों ने अपने बच्चों को पोलिया की दवा पिलाने से मना कर दिया. कमालचक में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली, तो यहां से पूरी टीम गोहारियो पहुंची. अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, तो लोग भड़क गये.
ग्रामीणों का आरोप था कि कुछ दिन पूर्व जब ग्रामीण रास्ते की मांग को लेकर पल्स पोलियो का बहिष्कार कर रहे थे, तो बीडीओ के ने आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही इस दिशा में पहल की जायेगी. सरस्वती प्रतिमा विसजर्न को लेकर भी जब रास्ते का विवाद हुआ था तो अंचलाधिकारी ने यह आश्वासन दिया था कि जल्द ही जमीन की मापी करायी जायेगी, लेकिन इसके बाद किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. ग्रामीण किसी भी हालत में पोलियो की दवा पिलाने को तैयार नहीं हुए तो सभी अधिकारी वापस लौट गये. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके मंडल ने बताया कि ग्रामीणों को यह यह समझाया जा रहा है कि रास्ते की मांग जायज है, लेकिन बच्चों की जिंदगी का सवाल है. इसलिए बच्चों को दावा पिलाने दें. ग्रामीण अभी तैयार नहीं हुए हैं. उन्हें समझाने का प्रयास जारी है.