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ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बना रहा बीएयू

आधी आबादी की उम्मीदें ‘पूरी’. आत्मनिर्भर महिलाओं पर समाज को नाज भागलपुर : आधी आबादी की उम्मीदें भी पूरी कर रहा बीएयू. ग्रामीण महिलाओं को बिहार कृषि विश्वविद्यालय संबल बना रहा है. मनिहारी (कटिहार) की लीली मरांडी के पति का 2012 में असामयिक निधन हो गया तो उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. पहले से […]

आधी आबादी की उम्मीदें ‘पूरी’. आत्मनिर्भर महिलाओं पर समाज को नाज

भागलपुर : आधी आबादी की उम्मीदें भी पूरी कर रहा बीएयू. ग्रामीण महिलाओं को बिहार कृषि विश्वविद्यालय संबल बना रहा है. मनिहारी (कटिहार) की लीली मरांडी के पति का 2012 में असामयिक निधन हो गया तो उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. पहले से ही झुके हुए कंधों पर चार बच्चों के भरण-पोषण की भारी जिम्मेवारी एकाएक आ गयी.
बीएयू के सोशल इंजीनियरिंग ने लीली की खाली झोली भर दी. अकेली लीली ही नहीं हजारों महिलाओं के जीवन बीएयू ने बदल दिये हैं. ठाकुरगंज (किशनगंज) की बबीता मरांडी, कटोरिया (बांका) की सुषमा हेम्ब्रम, पीरपैंती (भागलपुर) की सरिता मरांडी जैसी मिसाल पेश करने वाली महिलाओं को बीएयू ने सम्मान देकर मान बढ़ाया.
मौका भी था और दस्तूर भी. महिला सशक्तिकरण चुनौती एवं रणनीति विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान बीएयू के मंच पर जब कृषि मंत्री व समाज कल्याण मंत्री के हाथों इन महिलाओं को सम्मानित किया गया तो तालियों की गड़गड़ाहट इनके जज्बे को सलाम कर रहा था. समाज को इन सशक्त महिलाओं पर नाज है.
पति की हुई मौत के बाद मशरूम उत्पादन से लीली की भरी झोली
सरिता, सुषमा व बबीता ने भी दिखाया आइना, मिला सम्मान
3 एकड़ का चाय बगान, दो लाख आमदनी
किशनगंज की बबीता मरांडी की उम्र 34 साल है. वह नौंवी पास है. उनकी सलाना आमदनी 2 लाख से अधिक है. बाजार में सब्जियों की रंगाई देखकर सब्जी उगाने का फैसला लिया. कृषि विज्ञान केंद्र व नाबार्ड से जुड़कर किचेन गार्डन, पशुपालन का प्रशिक्षण लिया. अाज वह तीन एकड़ में चाय बागान, अनानास, धान व मक्के की खेती कर रही हैं.
रेशम कीट पालन के लिए बनाया समूह
मैट्रिक पास सुषमा के पास छह बीघा जमीन है. वह आदिवासी है. दस सालों से खेती कर रही है.
कोकून के उत्पादन के बाद उनकी वार्षिक आय अब 80 हजार हो चुकी है. वह बटेर व बकरी पालन का कार्य भी कर रही है. इन्होंने रेशम कीट पालन को बढ़ावा देने के लिए 12 आदिवासी महिलाओं का समूह भी बनाया है.
हिन्दी का अनुवाद संथाली में समझाती हैं सरिता
पीरपैंती की सरिता मरांडी आठवीं पास है. उनकी उम्र 31 साल है. खेती में 15 साल का अनुभव है. पिता शिक्षक थे. शादी के बाद ससुराल आयी तो समाज सेवा की भावना खुलकर सामने आयी. पति ने सहयोग दिया. आदिवासी भाइ बहनों को हिन्दी समझने में दिक्कत होती है. वह हिन्दी व संथाली दोनों जानती हैं. वह हिन्दी भाषा का अनुवाद कर संथाली में बोलकर समझाती हैं.
पीजी में 77 नामांकन 46 छात्राएं
पीजी में 100 में 77 नामांकन हुआ है जिसमें 46 छात्राएं हैं. पामेला पाम और माइक्रो न्यूट्रीएंट में आइसीआर का रिसर्च प्रोजेक्ट बीएयू को मिलेगा. देश का इकलौता राज्य बिहार है जो बीएससी एग्रीकल्चर में स्कॉलरशिप व स्टाइपेंड दे रहा है.
डॉ अजय सिंह, कुलपति, बीएयू
पुरुष नहीं महिला प्रधान हुई कृषि : डॉ जतिन्दर
केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान भुवनेश्वर की निदेशक डॉ जतिन्दर किश्तवारिया की मानें तो अब कृषि पुरुष नहीं महिला प्रधान हो चुकी है. महिलाओं को मॉडर्न खेती के लिए सक्षम बनाना होगा. देश में महिलाओं के नाम सिर्फ दो फीसदी जमीन है. उन्होंने कृषि मंत्री से नीति में बदलाव की गुजारिश की.
3485 घंटे खेतों में काम करती हैं महिलाएं : डॉ रामेश्वर
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा कि एक सर्वे के मुताबिक कृषि कार्य में बैल 1064 घंटा, पुरुष 1212 घंटा समय देते हैं जबकि एक महिलाएं 3485 घंटा खेतों में काम करती हैं. को-ऑपरेटिव सोसाइटी में महिलाओं की सिर्फ सात फीसदी भागीदारी है. देश में चार लाख 50 हजार सहकारी समितियां हैं. इसमें सिर्फ आठ हजार 171 महिला समिति हैं जिसमें छह लाख 93 हजार महिला सदस्य हैं.
3485 घंटे खेतों में काम करती हैं महिलाएं : डॉ रामेश्वर
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा कि एक सर्वे के मुताबिक कृषि कार्य में बैल 1064 घंटा, पुरुष 1212 घंटा समय देते हैं जबकि एक महिलाएं 3485 घंटा खेतों में काम करती हैं. को-ऑपरेटिव सोसाइटी में महिलाओं की सिर्फ सात फीसदी भागीदारी है. देश में चार लाख 50 हजार सहकारी समितियां हैं. इसमें सिर्फ आठ हजार 171 महिला समिति हैं जिसमें छह लाख 93 हजार महिला सदस्य हैं.

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