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जेएलएनएमसीएच: चार हजार रुपये यूनिट बिक रहा खून, शहर में चल रहा लाल खून का काला धंधा

भागलपुर: शहर में खून का काला कारोबार बेखौफ चल रहा है. रविवार को जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) में पकड़ में आये एक मामले के अनुसार, शहर में खून के दलाल मरीजों के परिजनों को चार हजार रुपये प्रति यूनिट की दर से खून उपलब्ध करा रहे हैं. खून के पैकेट पर मायागंज हॉस्पिटल के ब्लड बैंक […]

भागलपुर: शहर में खून का काला कारोबार बेखौफ चल रहा है. रविवार को जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) में पकड़ में आये एक मामले के अनुसार, शहर में खून के दलाल मरीजों के परिजनों को चार हजार रुपये प्रति यूनिट की दर से खून उपलब्ध करा रहे हैं. खून के पैकेट पर मायागंज हॉस्पिटल के ब्लड बैंक का फर्जी लेबल पर मुहर, सीरियल नंबर व हस्ताक्षर आदि करके टैग कर दे रहे हैं. इससे यह मामला जल्दी पकड़ में नहीं आता है. चूंकि मरीज का खून मायागंज हॉस्पिटल में ही चढ़ा, इसलिए यह जल्दी पकड़ में आ गया. इस मामले में पुलिस ने रवि को गिरफ्तार कर लिया है.
यूं आया मामला पकड़ में : जिले के रंगरा चाैक निवासी बीरबल दास की पत्नी सोनी देवी को सब डिवीजनल हॉस्पिटल नवगछिया में बीते दिन डिलेवरी हुई थी. उसे पीपीएच (पोस्ट पार्टम हैमरेज) होने के कारण खून की कमी हो गयी तो वहां के चिकित्सकों ने शनिवार को मायागंज हॉस्पिटल रेफर कर दिया. शनिवार को पूर्वाह्न 11:40 बजे स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के बेड नंबर 50 (यूनिट दो) पर भरती किया गया. चिकित्सकों ने उसे ओ पाॅजिटिव खून दिये जाने की जरूरत बतायी तो सोनी देवी का पति बीरबल परेशान हो गया. रविवार की दोपहर में बीरबल खून लेकर आया और वार्ड की नर्स को खून चढ़ाने को बोला.

नर्स को कुछ आशंका हुई तो उसने खून को जांच के लिए ब्लड बैंक भेज दिया. ब्लड बैंक ने यूनिट पर लगे लेबल के सीरियल नंबर से मिलान किया तो पता चला कि इस मरीज को खून दिया ही नहीं गया है. मौकेे पर पहुंचे हॉस्पिटल अधीक्षक ने जब बीरबल से कड़ाई से पूछताछ की, तो बीरबल ने बताया कि शनिवार को हॉस्पिटल में ही उसकी मुलाकात गौरव व रवि नामक युवक से हुई. उसने खून दिलाने का भरोसा दिया आैर बोला कि खून के लिए चार हजार रुपये लगेंगे. बीरबल ने हामी भरी तो रविवार को खून मिलने का डील हुआ. दोनों ने अपना मोबाइल नंबर भी दिया. रविवार काे बीरबल ने रुपये देकर खून हासिल कर लिया.

नर्सिंग होम में खप रहा दलाली का खून
शहर के अधिकांश नर्सिंग होम में खून की दलाली से मिले खून मरीजों की रगों में उतारा जा रहा है. चूंकि यूनिट पर बकायदा ब्लड बैंक जेएलएनएमसीएच का लेबल, मुहर, सिग्नेचर व हस्ताक्षर रहता है, इसलिए नर्सिंग होम में तैनात नर्स या डॉक्टर उसे जांचने की जहमत भी नहीं उठाता है और ये मामले पकड़ में भी नहीं आते हैं. इस कारोबार में शहर के आधा दर्जन पैथोलॉजी सेंटर से लेकर नर्सिंग होम में तैनात कर्मचारी-नर्स लगे हुए हैं. बकायदा उन्हें इस काम के एवज में 500 से लेकर एक हजार रुपये कमीशन भी दिया जाता है.
ब्लड ग्रुप के आधार पर तय होता है रेट
ब्लड ग्रुप के आधार पर खून का रेट तय होता है. ओ पाॅजिटिव जहां चार हजार रुपये में मिल जाता है, वहीं ए, बी व एबी पॉजिटिव छह से सात हजार रुपये में. अगर मरीज को निगेटिव खून चाहिए तो उसे सात हजार रुपये से लेकर दस हजार रुपये तक देना पड़ता है.
ब्लड बैंक से दिलाया दूसरा खून
अधीक्षक ने खरीदे गये खून काे जब्त कर उसे सुरक्षित रखवा दिया. जबकि बीरबल को ब्लड बैंक से ओ पॉजिटिव का दूसरा यूनिट खून दिलवा दिया. इस बाबत हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि बीरबल को खून दिलवाने वाले तथाकथित रवि व गौरव के खिलाफ बरारी थाने में वे सोमवार को मुकदमा दर्ज करायेंगे.
खून का एक दलाल गिरफ्तार
मायागंज हॉस्पिटल में भरती महिला के पति को खून बेचने के दो आरोपितों में से एक को बरारी पुलिस ने रविवार की देर शाम साढ़े सात बजे मायागंज चौक से गिरफ्तार कर लिया. पकड़ा गया युवक का नाम रवि है. पूछताछ में रवि ने बताया कि वह खून की दलाली करनेवाले विवेक के लिए काम करता था. विवेक शहर के एक पैथोलैब में काम करता है. वह मरीजों को ट्रेस कर उन्हें अपने जाल में फंसाता था और खून का डील करता था. रवि ने बताया कि उसका काम रुपये लेना व खून देना था.

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