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नौकरियां बढ़ीं या घटी सरकार में कन्फ्यूजन

परेशानी सर्वे की मानें तो देश में तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी भागलपुर : सरकारी आंकड़ों की मानें, तो 1,61,167 घरों में किये गये कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी. श्रम मंत्रालय का कहना है कि 120 लाख लोग हर वर्ष जुड़ जाते हैं रोजगार न पानेवालों की कतार में. […]

परेशानी सर्वे की मानें तो देश में तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी

भागलपुर : सरकारी आंकड़ों की मानें, तो 1,61,167 घरों में किये गये कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी. श्रम मंत्रालय का कहना है कि 120 लाख लोग हर वर्ष जुड़ जाते हैं रोजगार न पानेवालों की कतार में.
दे श में रोजगार और नौकरियां बढ़ाने के तमाम दावों के बावजूद पिछले तीन साल में बेरोजगारी बढ़ी है. ये दावा किसी निजी संस्थान के नहीं बल्कि सरकार की ही एजेंसियों के हैं.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में बेरोजगारी 2013-14 में 4.9 फीसदी बढ़ कर 2015-16 से करीब सात फीसदी की दर से बढ़ी है. सरकारी सर्वे में बार-बार नौकरियां घटने की बात ही सामने आ रही है. उधर, नीति आयोग अपनी ही सरकारी एजेंसियों के आंकड़ों पर सवाल उठा दिया है. नीति आयोग की अपनी साइट पर दो दिन पहले ही अपलोड की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में रोजगार से जुड़े सभी आंकड़े या तो बहुत पुराने हैं या गलत तरीके से एकत्र किये गये हैं.
नीति आयोग के सवाल
कुछ सर्वे पांच साल में एक बार तो कुछ अनिश्चित अंतराल पर किये जाते हैं, जो सही स्थिति नहीं बताते. कभी तीन साल बाद तो कभी सात साल बाद सर्वे से गलत आंकड़े आते हैं.
आंकड़े एकत्र होने के बाद इन्हें जारी करने में कम से कम एक साल का समय लग जाता है. इससे भी परिणाम की शुद्धता प्रभावित होती है.
सरकारी सर्वे के मौजूदा ढांचे में सिर्फ पंजीकृत उद्यमों की जानकारी ही मिलती है. जबकि गैरपंजीकृत उद्यमों की संख्या अधिक है.
सरकारी आंकड़ों में 20 से कम कर्मी वाले उद्यमों के आंकड़े नहीं लिये जाते हैं, जबकि देश में इनका औसत लगभग 79 फीसदी है.

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