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यू एक्सटेंशन प्रोजेक्ट में हो सकती है देरी

कुव्यवस्था . व्यावसायिक विद्युत उत्पादन शुरू होने में एक साल का समय और लगेगा सरकार के रिपोर्ट कार्ड को खराब करने पर तुली है भेल कंपनी बरौनी (नगर) : भरपूर बिजली मिलेगी. 2019 तक बिजली उत्पादन के मामले में बिहार नंबर वन राज्य बनेगा. आने वाले दिनों में बरौनी थर्मल से तकरीबन 720 मेगावाट बिजली […]

कुव्यवस्था . व्यावसायिक विद्युत उत्पादन शुरू होने में एक साल का समय और लगेगा

सरकार के रिपोर्ट कार्ड को खराब करने पर तुली है भेल कंपनी
बरौनी (नगर) : भरपूर बिजली मिलेगी. 2019 तक बिजली उत्पादन के मामले में बिहार नंबर वन राज्य बनेगा. आने वाले दिनों में बरौनी थर्मल से तकरीबन 720 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने की बिहार सरकार ने बरौनी की छठी,सातवीं एवं न्यू एक्सटेंशन प्रोजेक्ट की आठवीं व नौवीं इकाई के भरोसे उम्मीद जतायी थी, किंतु बरौनी का भाग्य विधाता बनी निर्माण कंपनी भेल, सरकार के रिपोर्ट कार्ड को खराब करने पर तुली है.
अप्रैल ,2017 तक संपन्न हुए कार्य के आधार पर जानकारों की माने तो बरौनी थर्मल पावर न्यू एक्सटेंशन प्रोजेक्ट की दोनों नयी इकाई से व्यावसायिक विद्युत उत्पादन शुरू होने में कम-से-कम एक साल का समय और लगेगा.हालांकि मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही यूनिट संख्या-8 को टेस्टिंग हेतु लाइट अप किया जा सकता है.वहीं अत्यधिक विलंब के बाद भी अब तक सिर्फ बरौनी की इकाई संख्या-7 से बिजली का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया जा सका है. मगर दुर्भाग्य से वह
भी लाइट अप-ठप के बीच झूल रहा है. बरौनी थर्मल छठी इकाई के आरएंडएम के कार्य में जहां एक ओर देरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर निर्धारित समय से बरौनी थर्मल के एक्सटेंशन प्रोजेक्ट का कार्य भी पूरा नहीं हो सका है. विदित हो कि वर्ष 2011 में करीब 5308 करोड़ की लागत से बरौनी थर्मल के विस्तारीकरण के तहत 250 मेगावाट की दो नयी इकाई 8 एवं 9 के निर्माण का कार्य भेल कंपनी द्वारा शुरू किया गया था.निर्माण प्रक्रिया के तहत दिसंबर ,2014 में आठवीं इकाई तथा जनवरी ,2015 में नौवीं इकाई से विद्युत उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य दिया गया था. भेल कंपनी की लापरवाही के कारण निर्धारित समय सीमा के दो वर्ष बीत जाने के बावजूद इसे पूरा नहीं किया जा सका है.
भूमि अधिग्रहण सबसे बड़ी रुकावट : उत्सर्जित कोल ऐश के निस्तारीकरण के लिए ऐश डाइक के निर्माण हेतु भूमि की समस्या बड़ी रुकावट थी. परंतु बंद पड़े बरौनी फर्टिलाइजर के 56 एकड़ में फैले बोरोपिट की जमीन का इस्तेमाल फिलहाल करने का निर्णय लिया गया है.वहां ऐश डाइक का निर्माण कार्य चल रहा है. विस्तारीकरण के तहत स्थापित होने वाली 250 मेगावाट की दो नयी इकाइयों के लिए 290 एकड़ जमीन का भी अधिग्रहण किया गया है.हालांकि वहां कोल ऐश की डंपिंग को लेकर किसानों के साथ अधिग्रहीत भूमि के विवाद का मामला कोर्ट में लंबित है.
हड़ताल से भी काम बाधित : यूं तो बरौनी थर्मल के प्रोजेक्ट के विस्तारीकरण कार्य निर्धारित समय से पूरा नहीं होने के कई कारण हैं.कंपनियों की बात मानें तो श्रमिक संगठनों की बार -बार होती हड़ताल भी एक वजह है. मजदूरों की समस्याओं को लेकर एक संगठन का तंबू उखड़ता है, तो दूसरा गाड़ने लगता है.
173 करोड खर्च कर थर्मल पहुंचेगा गंगा का पानी : बरौनी थर्मल प्रतिष्ठान तक गंगा का पानी पहुंचाने की योजना पर बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी 173 करोड़ की राशि खर्च कर रही है. बरौनी ताप बिजली घर को पानी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए गंगा नदी से यहां पानी उपलब्ध कराना है.विदित हो कि केंद्र सरकार ने औद्योगिक इकाइयों के लिए भूगर्भीय जल स्रोत का उपयोग करने पर रोक की वजह से बरौनी थर्मल में विद्युत उत्पादन के लिए गंगा वाटर सप्लाइ प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2013 में शुरू किया गया था. जिसे दो वर्ष के भीतर पूरा करना था,नर नहीं पूरा किया जा सका है.
तय समय में न्यू एक्सटेंशन प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य नहीं होने के कारण इसका लागत मूल्य 2,174 करोड बढ़ गया. विदित हो कि जब यूनिट का प्रस्ताव हुआ तो योजना 3,133 करोड़ 16 लाख की थी.वित्तीय वर्ष 2013-14 में काम शुरू हुआ और इसे दो साल में पूरा करना था. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. तब इसकी लागत 3707 करोड़ हो गयी. लेकिन भेल कंपनी की सुस्ती के कारण अब इसकी लागत 5308 करोड 67 लाख हो गयी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सब-कुछ ठीकठाक रहा, तो अगस्त-सितंबर तक व्यावसायिक बिजली की आपूर्ति शुरू हो जायेगी. इसको लेकर कार्य युद्ध स्तर पर हो रहा है.
अरुण कुमार सिन्हा,जीएम

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