बेगूसराय : पटना के एनआइटी घाट पर मकर संक्रांति के मौके पर भीषण नौका दुर्घटना से बेगूसराय जिला प्रशासन को भी सीख लेने की जरूरत है. अगर समय रहते जिला प्रशासन इस पर ठोस कदम नहीं उठाती है तो पटना जैसी हादसा से इनकार नहीं किया जा सकता है.
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प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरू रत
बेगूसराय : पटना के एनआइटी घाट पर मकर संक्रांति के मौके पर भीषण नौका दुर्घटना से बेगूसराय जिला प्रशासन को भी सीख लेने की जरूरत है. अगर समय रहते जिला प्रशासन इस पर ठोस कदम नहीं उठाती है तो पटना जैसी हादसा से इनकार नहीं किया जा सकता है. दियारा इलाके में दुरुस्त नहीं है […]
दियारा इलाके में दुरुस्त नहीं है नाव परिचालन :
जिले के दियारा इलाके में नाव परिचालन की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. हमेशा लोगों की जान खतरे में बनी रहती है. मटिहानी-शाम्हो गंगा घाट,साहेबपुरकमाल-मुंगेर गंगा घाट,बलिया दियारे इलाके स्थित गंगा घाट एवं बछवाड़ा दियारे के गंगा घाटों पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग नाव से आवागमन करते हैं. फरवरी-मार्च माह में इन गंगा घाटों का टेंडर कर प्रशासन अपना इतिश्री मान लेती है.
जान जोखिम में डाल कर साहेबपुरकमाल में गंगा घाट पार करते हैं यात्री :मुंगेर रेल पुल के प्रारंभ होने की वजह से गंगा नदी में वर्षों से चल रहे फेरी जहाज के परिचालन बाधित हो जाने से यात्री जान दांव पर लगाकर डेंगी से गंगा की उफनती धारा पार करते हैं. पटना नाव हादसे के बाद दैनिक यात्रियों में भय का माहौल व्याप्त है. मात्र दो जोड़ी सवारी गाड़ी के परिचालन से अधिकांश यात्री नाव से ही मुंगेर जाने को विवश हैं. खासकर दूध विक्रेता दैनिक पशुपालकों को मुंगेर जाने का एक मात्र जरिया नाव ही है जिस पर क्षमता से अधिक लोगों को लाद लिया जाता है फलत: अनहोनी की घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि करीब एक दर्जन छोटी बड़ी नाव गंगा नदी में यात्रियों को ढोने में लगा है. जाफर नगर, बहादुरनगर, जमींडिग्री, साहेब दियारा से भी यात्री जान जोखिम में डालकर नाव द्वारा मुंगेर आते-जाते हैं जिस पर नाविक नियम को ताक पर रखकर कभी-कभी क्षमता से अधिक लोगों को लादकर चलते हैं. जिससे नाव डूबने खतरा बना रहता है. पटना के नाव दुर्घटना के बाद भी प्रशासन और नाविक सुरिक्षत नाव परिचालन को लेकर अगर सतर्कता नहीं बरतते हैं तो मुंगेर गंगा नदी में भी बड़ा नाव हादसा से इंकार नहीं किया जा सकता है.
बलिया गंगा घाट पर नावों में की जाती है ओवरलोडिंग :
बलिया के गंगा घाटों पर पर्व-त्योहारों के समय ओवर लोडिंग कर होती है नावों का परिचालनबलिया प्रखंड के दियारा क्षेत्र में गंगा घाटों पर कइ जगहों नाव से अवागमन होती है. जिसमें परमानंदपुर पंचायत के हुसैना घाट से अविगल, ताजपुर पंचायत के गोखले नगर विष्णुपुर घाट से मेदनी चौकी एवं भवानंदपुर पंचायत के भवानंदपुर घाट से हेमजापुर व मेदनीचौकी तक नावों का परिचालन होता है.
इन घाटों पर पर्व-त्योहारों के समय गंगा में पूल नहीं रहने के कारण लोग अपने गन्तव्य स्थान एवं रिश्तेदारों के यहां जाने में नाव का सहारा लेते हैं . जिससे कभी-कभी लोगों की भीड़ बढ़ जाने के कारण ओवरलोड का सामना करना पड़ता है. जिससे नाव डूबने की संभावना से नकारा नहीं जा सकता है. वर्ष 2016 के जुलाइ महीने में लखीसराय जिले के अवगिल से बलिया प्रखंड के हुसैना घाट आ रही नाव दुर्घटना ग्रस्त होने से उसपर सवार आठ लोगों में तीन लोगों की डूब जाने से मौत हो गयी थी. जिसमें दो पहाड़पुर के सागर साह एवं उनके पुत्र एवं एक अवगिल निवासी युवक शामिल थे. जिनमें एक शव बरामद भी नहीं हो सके थे.
िनर्देश िदया जा चुका है
जिला प्रशासन के द्वारा निर्देश दिया जा चुका है. नावों पर ओवरलोडिंग कर परिचालन करने की अनुमति नहीं है. शाम पांच के बाद नाव के परिचालन की अनुमति नहीं दी गयी है. संबंधित प्रखंड के सीओ व थानाध्यक्ष को आदेश दिया गया है कि समय सीमा अपने-अपने प्रखंडों में सुुनिश्चित कराने का काम करें.
किसी प्रकार की घटना होती है तो जिला प्रशासन उससे निबटने के लिए पूर्णत: तैयार रहती है. सात प्रशिक्षित एसडीआरएफ व 10 होमगार्ड के प्रशिक्षित जवान के अलावा बचाव दल को हमेशा अलर्ट रखा जाता है.
गोविंद चौधरी,जिला आपदा पदाधिकारी,बेगूसराय
31 दिसंबर को मटिहानी-शाम्हो गंगा घाट में भी भीषण हादसा होते-होते बचा
जिस तरह से पटना के एनआइटी घाट पर नाव दुर्घटना हुई और लोग काल के गाल में समा गये. उसी तरह की घटना 31 दिसंबर 2016 को मटिहानी-शाम्हो गंगा घाट में भी बड़ी हादसा होते-होते बची. ज्ञात हो कि इस घाट पर ठेकेदार व नाविकों की मनमानी के चलते नावों के परिचालन में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं रहती थी. जिसके चलते जब मन हो रात या दिन नाव लेकर इस पार से उस पर नाविक कर देते थे. इसी तरह से 31 दिसंबर को शाम छह बजे तक नाविक के द्वारा गंगा घाट पर यात्रियों को रोक कर रखा गया.बाद में अंधेरा हो जाने के बाद नाविक नाव लेकर शाम्हो के लिए चला. नाव जैसे ही मध्य गंगा में गयी कि अचानक बंद हो गयी. उस नाव पर लगभग 200 यात्री सवार थे. बताया जाता है कि नाव इस तरह से पानी में फंस गया कि अब उसका आगे निकलना मुश्किल हो गया. काफी मशक्कत करने के बाद भी नाव गंगा के मध्य धारा में ही घंटों पड़ी रही. इस दौरान नाव पर सभी यात्रियों में अफरा-तफरी मची हुई थी. बाद में जिला प्रशासन व स्थानीय लोगों के प्रयास के बाद नाव को निकाला गया एवं लोगों की जान बच पायी. यह सिर्फ एक दिन की घटना नहीं वरन हमेशा नाविक व ठेकेदार की मनमानी के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हलांकि इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए नावों के परिचालन की समय सीमा निर्धारित कर दी है. जिसके बाद निर्धारित समय के अनुसार ही नावों का परिचालन किया जा रहा
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