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सिमरिया घाट पर गंगा महा आरती करते कलाकार विदेशी भी पहुंचते हैं सिमरिया

बीहट : गंगा हमारे लिए मात्र नदी नहीं है अपितु भारतीय संस्कृति की संवाहिनी भी है. सिमरिया तट पर प्राचीन काल से कल्पवास की परंपरा के तहत न केवल बिहार के विभिन्न जिलों से बल्कि देश के अन्य प्रांतों तथा पड़ोसी देश नेपाल एवं भूटान से भी श्रद्धालु कल्पवास के लिए पहुंचते हैं.सवा महीने तक […]

बीहट : गंगा हमारे लिए मात्र नदी नहीं है अपितु भारतीय संस्कृति की संवाहिनी भी है. सिमरिया तट पर प्राचीन काल से कल्पवास की परंपरा के तहत न केवल बिहार के विभिन्न जिलों से बल्कि देश के अन्य प्रांतों तथा पड़ोसी देश नेपाल एवं भूटान से भी श्रद्धालु कल्पवास के लिए पहुंचते हैं.सवा महीने तक गंगा तट पर पर्णकुटीर बनाकर धार्मिक अनुष्ठान करते हुए मोक्ष की कामना करते हैं. ब्रह्म बेला में गंगा स्नान, परिक्रमा,परिचर्चा,संगोष्ठी और विशाल भंडारा में शामिल होना श्रद्धालुओं की दिनचर्या होती है.

राजकीय कल्पवास मेला का मिला दर्जा :ऐसे तो वर्ष 2007 में ही सिमरिया घाट कल्पवास मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला लेकिन अभी भी यहां राजकीय मेला के अनुरूप व्यवस्था नहीं दिखती. बावजूद इसके कल्पवासियों की पहली पंसद सिमरिया घाट ही है.सिमरिया घाट के जमा खाते में फिलहाल घोषित योजनाओं की लंबी फेहरिस्त है.सपनों और उम्मीदों के अलावा जमीन पर अब तक कुछ खास नहीं उतरा है.
सिमरिया घाट लाखों की कमाई का धरोहर है :
जिस सिमरिया घाट की आरंभ में कल्पना की थी वह न तब बन सका था और न अब तक बन सका है. गंदगी से पटा घाट का किनारा व्यवस्था की अनदेखी से कराह रहा है.सिमरिया घाट लाखों की कमाई कराने वाला धरोहर है. सिद्धाश्रम के स्वामी चिदात्मनजी महाराज सहित अन्य संत-महात्माओं ने कहा कि जरूरत इस बात की है कि सिमरिया घाट जैसी धरोहर को अपने औचित्य साबित करने लायक बनायी जाये.
मूलभूत सुविधाओं का है अभाव:सिमरिया घाट पर धन-धान्य की राशि खड़ी की जा रही है.घाट पर अनेक मंदिर बन रहे हैं.उन्हें अनंत व्यय से समृद्ध किया जा रहा है परन्तु सिमरिया घाट पर आज भी महिलाओं के लिए कपड़ा बदलने के लिए अलग से व्यवस्था नहीं है. सिमरिया घाट का स्वर्णयुग हो चुका है. स्वामी चिदात्मनजी महाराज अगले साल 2017 में कुंभ का शंखनाद कर चुके हैं ऐसे में उसकी तैयारियों में अभी से जुट जाने का समय है.
पर्यटकों को लुभाने लगा है सिमरिया घाट :सिमरिया घाट में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. इंग्लैंड,जर्मनी तथा स्वीटजरलैंड के पर्यटकों का जत्था कल्पवास मेला, सिमरिया घाट की संस्कृति, ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं. सिमरिया घाट पर्यटकों को लुभाने लगा है. जरूरत है घाट पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं की.विदित हो कि सिमरिया घाट में ही जहाज लगने के बाद पर्यटक वाराणसी,गया,राजगीर तथा बोध गया के लिए प्रस्थान करते रहे हैं.
सर्वमंगला कालीधाम का योगदान महत्वपूर्ण :अर्धकुंभ के भव्य आयोजन की सफलता के बाद सिमरिया घाट दिनोंदिन नयी ऊंचाइयों को छू रहा है.इस वर्ष भी कल्पवास महोत्सव के अंतर्गत कालीधाम के ज्ञान मंच पर कई कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं.जिसमें आदि कवि वाल्मीकि जयंती,हनुमत जन्मोत्सव ,महाकवि कालिदास जयंती,राष्ट्रकवि दिनकर जयंती,विद्यापति स्मृति दिवस का आयोजन प्रमुख है.
महाकुंभ-2017 के लिए जनजागरण :
अगले वर्ष 2017 में पूर्ण कुंभ के आयोजन की तैयारी में मिथिलांचल के संत-महात्मा जी-जान से जुट गये हैं. सर्वमंगला परिवार सिमरिया महाकुंभ के लिए देश भर में जन जागरण अभियान चला रही है. सिमरिया घाट की महत्ता दुनिया को समझाने में स्वामी चिदात्मन सफल हो रहे हैं. वहीं गंगा को निर्मल व अविरल बनाने के लिए कुंभ सेवा समिति भी सिमरिया घाट के कायाकल्प के लिए संकल्प लिया है.

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