पटना : राज्य में इस बार अफीम की खेती को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने को लेकर व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी है. सोमवार को मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में अफीम की खेती की रोकथाम के लिए एक विशेष बैठक मुख्य सचिवालय सभागार में हुई. इसमें यह निर्णय लिया गया कि जिस पंचायत में अफीम की अवैध खेती पकड़ी जाती है और वहां के मुखिया अगर इसकी पहले से कोई जानकारी नहीं देते हैं, तो उन पर भी सख्त कार्रवाई की जायेगी. इस बार अफीम की खेती का पता लगाने के लिए सेटेलाइट और ड्रोन का भी उपयोग किया जायेगा. इनसे ली गयी तसवीरों के आधार पर संबंधित इलाकों को चिह्नित कर कार्रवाई की जायेगी.
इस बैठक में इओयू के आइजी जितेंद्र सिंह गंगवार, नाॅरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निदेशक टीएन सिंह के अलावा उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अधिकारी मौजूद थे. छह जिलों में सबसे ज्यादा चौकसीपिछले कुछ वर्षों के दौरान जिन-जिन जिलों में इसकी खेती पकड़ी गयी है, वहां इसके लिए व्यापक जागरूकता और चौकसी अभियान चलाया जायेगा. इसके लिए संबंधित जिलों के थाना और प्रखंड से लेकर जिला स्तर के सभी अधिकारियों के साथ जल्द ही एक विशेष बैठक की जायेगी, जिसमें रोकथाम को लेकर रणनीति तैयार की जायेगी.
जो छह जिले रडार पर हैं, उनमें गया, मुंगेर, नवादा, जमुई, खगड़िया और रोहतास शामिल हैं. इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिले गया और जमुई हैं. इन जिलों में झारखंड सीमा के पास इसकी खेती होती है. पिछले वर्ष करीब 350 एकड़ में लगी इसकी अवैध फसल को नष्ट किया गया था. दो महीने चलेगा जागरूकता अभियानसभी प्रभावित जिलों में लोगों को शुरुआती दो महीने तक जागरूक किया जायेगा.
इस अभियान के दौरान लोगों को इसकी खेती को अवैध बताते हुए इससे जुड़े सभी तरह की सजा और पकड़े जाने पर अन्य कार्रवाई के बारे में जानकारी दी जायेगी. इसके बाद अगर किसी की खेती पकड़ी जाती है, तो उसकी फसल नष्ट की जायेगी और संबंधित व्यक्ति पर एनडीपीएस (नॉरकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉप्सिक सब्सटांस) एक्ट के तहत मुकदमा किया जायेगा. वन विभाग के अधिकारियों को भी इस अभियान में शामिल किया जायेगा.