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श्रद्धा : प्राचीन काल से ही सिमरिया में कल्पवास मेला की चली आ रही है परंपरा, प्रतिदिन आस्था का उमड़ रहा जनसैलाब

श्रद्धा : प्राचीन काल से ही सिमरिया में कल्पवास मेला की चली आ रही है परंपरा, प्रतिदिन आस्था का उमड़ रहा जनसैलाबतसवीर-7-प्रवचन करते स्वामी चिदात्मन जी महाराजतसवीर-8-पर्णकुटीर में खाना बनाते कल्पवासीतसवीर-9-कल्पवासियों का पर्णकुटीरतसवीर-10- गंगा आरती में भाग लेते कलाकारगंगा आरती की अद्भुत छटा को देखने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं श्रद्धालु बेगूसराय/बीहट. बेगूसराय […]

श्रद्धा : प्राचीन काल से ही सिमरिया में कल्पवास मेला की चली आ रही है परंपरा, प्रतिदिन आस्था का उमड़ रहा जनसैलाबतसवीर-7-प्रवचन करते स्वामी चिदात्मन जी महाराजतसवीर-8-पर्णकुटीर में खाना बनाते कल्पवासीतसवीर-9-कल्पवासियों का पर्णकुटीरतसवीर-10- गंगा आरती में भाग लेते कलाकारगंगा आरती की अद्भुत छटा को देखने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं श्रद्धालु बेगूसराय/बीहट. बेगूसराय और पटना जिले की सीमा पर अवस्थित पवित्र सिमरिया गंगा में ऐसे तो पूरे वर्ष लोगों का आना-जाना जारी रहता है लेकिन प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में सिमरिया गंगा घाट की अद्भुत छटा देखने को मिलती है. दिन से लेकर रात तक सिमरिया गंगा घाट में आस्था का जनसैलाब देखने को मिलता है. मां गंगा के प्रति श्रद्धालुओं में असीम श्रद्धाभक्ति यहां देखने को मिलती है. यहां पहुंचनेवाले लोग सभी प्रकार के मोह-माया से अलग होकर मां गंगा के सेवन में जुट जाते हैं. इसी का नतीजा है कि पूरे माह सिमरिया गंगा घाट में अजीब भक्ति का नजारा दिखाई पड़ता है. चार खालसाओं से शुरू हुआ था कल्पवास मेला प्राचीन काल से ही सिमरिया गंगा घाट में लोक कल्याणार्थ एक मास तक कल्पवास की परंपरा चली आ रही है. विगत 40 वर्षों के अंतराल में चार खालसाओं से शुरू हुआ कल्पवास मेले में आज 82 खालसाओं के साधु-संतों के नेतृत्व में सैकड़ों कल्पवासियों का सिमरिया घाट आध्यात्मिक शांति के लिए जप-तप करना सिमरिया की महत्ता और प्रसिद्धि गौरवान्वित कर रहा है. सिमरिया में कल्पवास की चर्चा बिहार ही नहीं संपूर्ण देश में होती है. इसी का नतीजा है कि बिहार के कई हिस्सों से श्रद्धालुओं के अलावे उत्तर प्रदेश, नेपाल से भी सिमरिया के मनोरम दृश्य को अवलोकन करने के लिए पहुंचते हैं. सिद्धाश्रम में प्रतिदिन देखने को मिलती है श्रद्धालुओं की श्रद्धा-भक्तिसिमरिया गंगा घाट में आयोजित राजकीय कल्पवास मेले के दौरान प्रसिद्ध सिद्धाश्रम में कल्पवासियों की श्रद्धा व भक्ति देखने को मिलती है. हर-हर गंगे के जयघोष के बीच सिमरिया गंगा घाट में डुबकी लगाने के बाद कल्पवासी सीधे सिद्धाश्रम पहुंच कर स्वामी चिदात्मन जी के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में शरीक होते हैं. इस मौके पर कल्पवासियों की श्रद्धाभक्ति देखते ही बनती है. इस मौके पर स्वामी चिदात्मन ने कहा कि कुंभ स्थली सिमरिया गंगा तट पर वर्ष 2011 के अर्धकुंभ के समय से ही गंगा महा आरती कार्यक्रम कल्पवासियों एवं श्रद्धालुओं के बीच आध्यात्मिक व सांस्कृतिक गौरव को प्रतिष्ठित करने का अद्भुत प्रयास कर रहा है. यह हमारा परम सौभाग्य है. दानवीरों की सहायता से प्रतिवर्ष आयोजित करनेवाली कुंभ सेवा समिति साधुवाद का पात्र है. ऐसे में हम सबों का परम कर्तव्य है कि तन-मन-धन समर्पित कर कल्पवास और गंगा महाआरती के सांस्कृतिक स्वरूपों, परंपराओं व विशेषताओं को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लेना होगा. कुंभ सेवा समिति के कार्यालय का उद्घाटनसिमरिया कल्पवास मेला परिसर में मंगलवार की देर शाम कुंभ सेवा समिति के कार्यालय का फीता काट कर उद्घाटन विधान पार्षद रजनीश कुमार ने किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सिमरिया में कल्पवास मेले में श्रद्धालुओं की श्रद्धा भक्ति पूरे परवान पर है. कुंभ सेवा समिति के द्वारा भी कल्पवासियों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने श्रद्धालुओं से अधिक-से- अधिक संख्या में गंगा महाआरती में शरीक होने की लोगों से अपील की. इस मौके पर विकास कुमार, रामाशीष सिंह, शशिभूषण सिंह, सुरेंद्र सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित थे. गंगा स्नान के लिए प्रतिदिन बढ़ रही है श्रद्धालुओं की भीड़कार्तिक मास में सिमरिया गंगा घाट में गंगा में डुबकी लगाने के लिए प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है. बताया जाता है कि अहले सुबह से ही कल्पवासी समेत अन्य श्रद्धालु हर-हर गंगे के जयघोष के बीच गंगा स्नान व पूजन कर अपने को धन्य मान रहे हैं. कल्पवासियों के समक्ष सिमरिया गंगा घाट पहुंचने में आवागमन की भारी समस्या हो रही है. नतीजा है कि जीरोमाइल व हथिदह से श्रद्धालु पैदल चल कर ही सिमरिया गंगा घाट पहुंच रहे हैं. सफाई की नहीं हो पायी है मुकम्मल व्यवस्थासिमरिया गंगा घाट में कल्पवासियों की भक्ति भले ही परवान पर हो लेकिन मेला क्षेत्र में साफ-सफाई की अब भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पायी है. नतीजा है कि कल्पवासियों के साथ-साथ प्रतिदिन हजारों की संख्या में पहुंचनेवाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिला प्रशासन के लाख निर्देश के बाद भी स्थानीय पदाधिकारियों व मेले की देख-रेख करनेवाले संवेदकों के द्वारा इसकी इसमें आना-कानी की जा रही है. इसके चलते गंदगी से पर्णकुटीर में रहनेवाले कल्पवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इधर सुरक्षा भी कल्पवास मेले में भगवान भरोसे है. इससे रात्रि में रहनेवाले लोगों में हमेशा दहशत का भाव देखा जाता है.

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