…और कल्पवास में ही गंगा की स्वच्छता क्यों? अन्य दिनों में पदाधिकारियों व गण्यमान्य लोगों को क्यों नहीं दिखती मां गंगा की पीड़ाबेगूसराय (नगर). कि करब जप-तप जोग धेआन, जनम कृतारथ एक हि सनान. कभी मैथिल कवि विद्यापति ने मां गंगा की आरती व स्तुति इस रूप में की थी. शायद यही कारण है कि आज भी सिमरिया गंगा तट इसी असीम श्रद्धाभक्ति से भाव विभोर हैं. राजकीय कल्पवास मेला क्षेत्र टिमटिमाते प्रकाश व्यवस्था में हर-हर गंगे, जय-जय गंगे के उद्घोष से गूंज उठा है. कहीं खालसाओं में संकीर्तन है, तो कहीं गंगा महाआरती. यह सब धूमधाम, चकाचक महज कार्तिक मास भर फिर निर्मल, अविरल गंगा जलती लाशों, सड़ांध कचरों और गंदगियों से पट जायेगा. फिर इस ओर न तो जिला प्रशासन के गाड़ियों का काफिला आ पायेगी और न ही कुंभ सेवा समिति. सच तो यह है कि आज जहां गंगा आरती की शुरुआत की गयी है. इसके लिए ग्रीन कारपेट से लेकर जगमगाती दूधिया रोशनी की व्यवस्था की गयी है. जिस गंगा की आरती के लिए दूसरे प्रदेशों से युवा आरती करनेवाले कलाकारों की टोली पहुंची है. इसके लिए बड़े मंच बनाये गये और बड़े लोग विराज रहे हैं. कुछ लोग गंगा के लिए तो कुछ लोग अपने लिए यजमान बन कर गंगा आरती में शरीक हैं. उन्होंने कभी कल्पवास से पहले सिमरिया तट पर गंगा की दुर्दशा को नजदीक से समझने का काम नहीं किया. कभी मासिक या फिर त्रैमासिक स्वच्छता जैसे कार्यक्रम चलाना भी मुनासिब नहीं समझा. आज स्थिति यह है कि जहां गंगा आरती के लिए हम खड़े हैं वहीं हर रोज दर्जनों अधजली लाशें गंगा में बहायी जा रही है. इन लाशों के साथ अधजली लकड़ियां, सड़े कपड़े, कचड़े और मलवे वैसे ही घाट पर छोड़ दिये जाते हैं. केंद्र सरकार का प्रभावी कार्यक्रम निर्मल गंगे भी अब तक दिल्ली से यहां तक नहीं पहुंच पाया है. स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था की बात करें, तो इन दिनों मेला क्षेत्र में सब कुछ चकाचक करने में लगे हैं. लेकिन गंगा आरती स्थल से ठीक सटे पूर्वी हिस्से में कबीर मुक्ति धाम बिना किसी लाश को मुक्त किये ही मुक्त हो गया. यहां से थोड़ा पूरब और उत्तर विद्युत शवदाह गृह पिछले दो दशक से बिजली के अभाव में बेकार पड़ा हुआ है. करोड़ों की लागत से बना यह विद्युत शवदाह गृह आज मटियामेट होने की स्थिति में है. इन सबके बावजूद सिमरिया को आदि कुंभ स्थली के रूप में स्वामी चिदात्मन देख रहे हैं. और निरंतर गंगा तट पर निवास कर सिमरिया धाम को अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर लाने के लिए अनवरत प्रयासरत हैं. विगत एक दशक से इनके द्वारा गंगा की स्वच्छता के लिए गांव से लेकर दिल्ली तक प्रयास किया गया लेकिन इस प्रयास में जिला प्रशासन, राजकीय कल्पवास मेला समिति, कुंभ सेवा समिति को लगातार सिमरिया गंगा घाट की स्वच्छता के लिए प्रयास करनी चाहिए थी, ताकि सिमरिया की गौरवमयी महत्ता बनी रहे और दुनिया के लोग यहां कल्पवास के लिए पहुंच सकें. हालांकि दूसरी ओर गंगा की स्वच्छता और गंगा आरती पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए युवा समाजसेवी सुभाष कुमार कंगन ने कहा कि गंगा आरती केवल ग्रीन कारपेट पर फोटो खींचवाने और सस्ती लोकप्रियता का स्थल बन कर रह गया है. सच तो है कि इनके द्वारा गंगा आरती के सिवा कभी गंगा घाट की सफाई के लिए कोई सकारात्मक कदम अब तक नहीं उठाया गया. आखिर यह कौन सी गंगा की भक्ति है, जो सामने गंगा घाट में कुव्यवस्था का आलम हो और महज कुछ ही दूरी पर मां गंगा को जलता हुआ दीपक दिखाया जाता हो.
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…और कल्पवास में ही गंगा की स्वच्छता क्यों?
…और कल्पवास में ही गंगा की स्वच्छता क्यों? अन्य दिनों में पदाधिकारियों व गण्यमान्य लोगों को क्यों नहीं दिखती मां गंगा की पीड़ाबेगूसराय (नगर). कि करब जप-तप जोग धेआन, जनम कृतारथ एक हि सनान. कभी मैथिल कवि विद्यापति ने मां गंगा की आरती व स्तुति इस रूप में की थी. शायद यही कारण है कि […]
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