बेगूसराय : मिथिलांचल की पवित्र तीर्थनगरी के रूप में विख्यात सिमरिया गंगा घाट इन दिनों स्वर्गलोक में तब्दील हो गया है. एक माह तक चलनेवाले राजकीय कल्पवास मेले को लेकर सिमरिया गंगा घाट में अद्भुत छटा देखने को मिल रही है. इसी का नतीजा है कि गंगा घाट के किनारे बालू के ढेर पर कल्पवासियों के द्वारा बनाये गणे पर्णकुटीर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. सैकड़ों की संख्या में गंगा के किनारे बने इस पर्णकुटीर में अमीर व गरीब सभी एक समान दिखाई पड़ रहे हैं.
26 अक्तूबर से कल्पवासी अहले सुबह से हर-हर गंगे के जयघोष के बीच कल्पवासी गंगा में डुबकी लगा कर अपने को धन्य समझेंगे. वैदिक काल से ही चला आ रहा है सिमरिया में कल्पवास मेलासिमरिया में कल्पवास मेला कोई नयी बात नहीं वरन वैदिक काल से ही चला आ रहा है.
पूर्व वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल में इसका पौराणिक महत्व है. इस कल्पवास मेले की जानकारी देते हुए सिमरिया सिद्धाश्रम के प्रमुख स्वामी चिदात्मन जी महाराज कहते हैं कि वेदांग ज्योतिष के आधार पर ब्रह्मा जी का एक दिन एक कल्प माना गया है. जो व्यक्ति वैदिक विधि से कल्पवास में रह कर स्नान, पूजन, यज्ञ, दान आदि करते हैं, तो ब्रह्माजी के एक दिन में किये गये कार्य के पुण्य के अधिकारी होते हैं. ब्रह्माजी का एक दिन 14 मनुओं का काल कहा गया है.
कल्पवास वर्ष का तीन महीना कार्तिक, माघ और वैशाख विशिष्ट माना गया है. कार्तिक में मिथिलांचल की अंतिम सीमा जो सिमरिया नाम से विख्यात रहा है. इसके पूर्व अमृत वितरण के समय इसका नाम सामृता पड़ा और अमृत वितरण के पहले आगम व निगम के अनुसार इसका नाम शालमणि वन था.
सिमरिया में न सिर्फ उत्तरदायिनी गंगा हैं वरन गंगा का संगम है. इसलिए इस धरा धाम पर आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम का सतयुग से ही अर्थात वैदिक युग से ही कल्पवास के लिए विशिष्ट स्थान रहा है. विदेह कुल में भी देश-विदेश में थी सिमरिया की ख्यातिविदेह कुल में भी सिमरिया की ख्याति देश-विदेश में थी. कलियुग में इस स्थान की महत्ता में थोड़ी कमी आयी परंतु स्वतंत्रता के बाद इस स्थान का गौरव दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है.
इसी का नतीजा है कि प्रत्येक वर्ष कल्पवास मेले में आस्था का सैलाब पूरे कार्तिक मास में देखने को मिलता है. बेगूसराय के अलावे दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, लखीसराय, शेखपुरा, मुंगेर समेत अन्य जगहों से बड़ी संख्या में कल्पवासी यहां पहुंचते हैं और बालू के ढेर पर गंगा किनारे रह कर एक माह तक हर-हर गंगे के बीच गंगा में डुबकी लगा कर गंगा सेवन करते हैं.
कल्पवास मेले को 2006 में राज्य सरकार ने घोषित किया राजकीय मेलसिमरिया कल्पवास मेले की महत्ता और दिन-प्रतिदिन लोगों में इस मास मेले के प्रति बढ़ रही आस्था को लेकर राज्य सरकार ने वर्ष 2006 में इस कल्पवास मेले को राजकीय मेले के रूप में घोषित किया. इसके बाद से इस कल्पवास मेले में आनेवाले कल्पवासियों की तमाम सुविधाओं का ख्याल शासन और प्रशासन के द्वारा किया जाता है.
हालांकि राजकीय मेले के बाद जो सिमरिया का दृश्य उत्पन्न होना चाहिए़ वह अभी तक नहीं हो पाया है. इस मेले की महत्ता तब बढ़ गयी, जब 2011 में यहां अर्धकुंभ लगा. इस दौरान यहां लाखों लोगों ने अलग-अलग तिथियों में गंगा स्नान कर इस आयोजन को सफल बनाया था. वर्ष 2017 का वर्ष सिमरिया के लिए ऐतिहासिक साबित होगा. जब महाकुुंभ में सिमरिया में आस्था का जनसैलाब स्नान के लिए उमड़ पड़ेगा. इस कुंभ का वर्ष पूर्व से ही घोषित किया जा चुका है.
कल्पवासियों की भक्ति से सराबोर हुआ पूरा इलाकासिमरिया गंगा तट पर पर्णकुटीर में कल्पवासियों की भक्ति से पूरा इलाका भक्तिमय हो गया है. पर्णकुटीर से निकल रहे अमृतवाणी और साधु-संतों के प्रवचन को लेकर सिमरिया गंगा घाट स्वर्गलोक में तब्दील हो गया है. सबसे मनोरम छटा संध्या के समय में देखने को मिलती है. काफी दूर तक बिजली की जगमगाती रोशनी से सराबोर कल्पवासियों के पर्णकुटीर एवं गंगा के किनारे कल्पवासियों के द्वारा आरती व दीप यज्ञ की अद्भुत छटा देखने को मिलती है. राजेंद्र पुल से होकर गुजरनेवाले लोग इस दृश्य को देख कर भाव-विभोर हो उठते हैं.
कई लोग तो कुछ समय के लिए सिमरिया गंगा घाट में रुक कर इस मनोरम दृश्य का अवलोकन कर लेते हैं. असुविधा से खिन्न दिखाई पड़ते हैं कल्पवासीराजकीय मेला घोषित होने के बाद से राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन हर संभव कल्पवासियों को तमाम सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करती हैं. इसे धरातल पर उतारने का सकारात्मक प्रयास भी किया जाता है. इसके बाद भी कल्पवासी प्रशासनिक सुविधा से खिन्न दिखाई पड़ते हैं.
इसका प्रमुख कारण है कि कल्पवासियों की कार्तिक माह में जिस तरह की उपस्थिति होती है और कल्पवास करनेवाले लोगों के परिजनों का पूरे माह तक आना-जाना जारी रहता है. उसके मुताबिक सिमरिया गंगा घाट में एक भी धर्मशाला सुविधा संपन्न नहीं है. इसके अलावे कल्पवासियों को उपलब्ध कराये जानेवाले सामान के दाम मनमाने तरीके से लिए जाते हैं. पूर्व में कल्पवासियों के लिए निर्धारित मूल्य तालिका बनाया जाता था, जिसका इन दिनों पालन नहीं हो पाता है. नतीजा है कि कल्पवासियों को मंहगी दर पर सामान की खरीदारी करनी पड़ती है. इस दिशा में जिला प्रशासन को ठोस पहल करने की जरू रत है.
वहीं मधुबनी जिले के अंधराठाढी निवासी दायरानी देवी कहती है कि हमलोग काफी दिनों से कल्पवास मेले में आते हैं. मां गंगा की असीम कृपा हमलोगों पर रहती है. यहां की व्यवस्था में बहुत कुछ और सुधार की जरूरत है ताकि अधिक-से- अधिक लोग कल्पवास मेले में पहुंच कर मां की भक्ति में शरीक हो सकें. सिमरिया कल्पवास मेले में ज्ञान मंच पर बह रही है भक्ति की धाराआश्विन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी के पावन दिवस पर आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम स्थित सर्वमंगला सिद्धाश्रम के ज्ञान मंच से रविवार को स्वामी चिदात्मन जी महाराज के द्वारा कार्तिक महात्म्य और श्रीमद्भागवत कथा का श्रीगणेश किया गया.
उन्होंने इस मौके पर कल्पवासियों के बीच ज्ञान की गंगा प्रवाहित करते हुए कहा कि कार्तिक माह में गंगा किनारे कल्पवास, स्नान-ध्यान व पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. उन्होंने इस मौके पर कहा कि दीन-दुखियों, रोगियों, पीडि़तों एवं अशिक्षित लोगों को सामर्थ्य के अनुसार सहायता करना एवं उन्हें सुख पहुंचाना सर्वश्रेष्ठ कार्य है. कथा वाचन से पूर्व स्वामी चिदात्मन जी महाराज द्वारा श्रद्धालुओं को गंगा किनारे विधिवत संकल्पित कराया गया.