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आसान नहीं पशुपालन, क्या करें किसान

भूसा व सुधा दाने की कीमत में बेतहाशा वृद्धि बेगूसराय/छौड़ाही : जिले में पशुचारे की किल्लत ने पशुपालकों की परेशानी बढ़ा दी है. भूसा व कुट्टी (पुआल की) का दाम बेतहाशा बढ़ा है. पिछले दो वर्षो में पशुचारे की कीमत लगभग दोगुनी हो गयी है. दर्जनों पशुपालक, जो चारा खरीदते थे. बढ़े दाम ने उनकी […]

भूसा व सुधा दाने की कीमत में बेतहाशा वृद्धि
बेगूसराय/छौड़ाही : जिले में पशुचारे की किल्लत ने पशुपालकों की परेशानी बढ़ा दी है. भूसा व कुट्टी (पुआल की) का दाम बेतहाशा बढ़ा है. पिछले दो वर्षो में पशुचारे की कीमत लगभग दोगुनी हो गयी है.
दर्जनों पशुपालक, जो चारा खरीदते थे. बढ़े दाम ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है. इस कारण आज के बदलते परिदृश्य में खेती व पशुपालन घाटे का सौदा बनता जा रहा है. फिर भी इसे देखने और सुननेवाला कोई नहीं है.
पुआल व भूसे की कीमत में बेतहाशा वृद्धि, चरागाह के अभाव के चलते किसान इन दिनों औने-पौने भाव में अपने पशुओं को बेचने पर विवश हो रहे हैं. पशुपालन इनके लिए घाटे का सौदा बनता जा रहा है. इनकी समस्याओं को दूर करने की दिशा में शासन और प्रशासन द्वारा सकारात्मक पहल नहीं किये जाने से पशुपालकों का दर्द और बढ़ गया है.
भूसे का दाम हुआ दोगुना : सामान्य दिनों में चार से पांच सौ रुपये प्रति क्विंटल मिलनेवाला भूसा आज एक हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. जबकि दूध की कीमत जस-की-तस है. दुग्ध उत्पादन में लागत पूंजी ज्यादा होने के बाद भी दूध की वाजिब कीमत नहीं मिलने से पशुपालक पसोपेश में हैं.
अच्छी नस्ल की दुधारु पशुओं को दिया जानेवाला सुधादाना, चुन्नी, चोकर आदि की कीमत भी कम नहीं बढ़ी है. नतीजा है कि पशुपालकों को अब पशुओं को रखने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
निर्धारित हो चारे का मूल्य :प्रखंड प्रमुख रंजना देवी, जदयू नेता राजनारायण चौधरी, समाजसेवी फु लेंद्र चौधरी, अशोक राय, राजेश सिंह समेत अन्य लोगों ने जिलाधिकारी से पशुचारे का मूल्य निर्धारित करने व अवैध भूसा मंडियों पर अंकुश लगाने की मांग की है.
चारा खिलाने तक का पैसा नहीं निकल पाता
पहले के खेत व बहियारों से हरा चारा व घास मिल जाता था. मवेशी के चरने के लिए मैदान उपलब्ध थे. पशुपालन में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती थी. परंतु अब पशुपालन में आमदनी अठन्नी एवं खर्चा रुपैया वाली बात हो गयी है.
अनिता देवी, पशुपालक, शाहपुर.
भूसे के मूल्य पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. मंडी में भूसा मनमाने दाम पर बेचा जा रहा है. मजबूरन लोग महंगा भूसा खरीद कर मवेशियों को खिला रहे हैं. इस कारण पशुपालकों की परेशानी बढ़ गयी है. चारा के अनुसार दूध की कीमत नहीं बढ़ी है. इससे किसानों की समस्या बढ़ गयी है.
सुमन कुमार, पशुपालक, छौड़ाही

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