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न्यायालय ने बलिया थानाध्यक्ष का वेतन रोकने का दिया आदेश

बेगूसराय : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गिरीश मिश्रा ने सत्र वाद संख्या 36 /2002 की सुनवाई करते हुए न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर बलिया थानाध्यक्ष का वेतन अगले आदेश तक रोकने का आदेश जारी किया. इस आदेश की एक प्रति पुलिस अधीक्षक एवं डीआइजी को भेजी गयी है. ज्ञात हो कि इस […]

बेगूसराय : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गिरीश मिश्रा ने सत्र वाद संख्या 36 /2002 की सुनवाई करते हुए न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर बलिया थानाध्यक्ष का वेतन अगले आदेश तक रोकने का आदेश जारी किया. इस आदेश की एक प्रति पुलिस अधीक्षक एवं डीआइजी को भेजी गयी है. ज्ञात हो कि इस वाद के एक मात्र अभियुक्त बलिया थाना के बरियारपुर निवासी राम प्रताप सिंह के विरुद्ध न्यायालय द्वारा कुर्की जब्ती का आदेश छह अगस्त 2018 को भेजी गयी है.

परंतु न्यायालय के आदेश का पालन बलिया थाना अध्यक्ष द्वारा नहीं किया गया है और यह मामला आरोपितों के अनुपस्थिति के कारण लंबित चल रही है. न्यायालय ने बलिया थानाध्यक्ष के लापरवाही पर 6 नवंबर 2019 तक कारण पृच्छा देने का आदेश दिया. परंतु थानाध्यक्ष न तो न्यायालय में उपस्थित हुए और न ही कारण पृच्छा दिया, तब न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए थानाध्यक्ष के वेतन को अगले आदेश तक रोकने का आदेश जारी किया.
मारपीट में सभी दोषी
बेगूसराय. न्यायिक दंडाधिकारी रवि रंजन ने मारपीट मामले के आरोपित बरौनी थाने के राजवाड़ा निवासी हरिनंदन साह, बब्लू साह एवं सुबोध साह को अंतर्गत धारा 323 भारतीय दंड विधान में दोषी पाकर अपराधी परिवीक्षा अधिनियम की धारा 3 के तहत सभी आरोपितों को घटना की भर्त्सना कर डांट कर फटकार कर रिहा कर दिया. अभियोजन की ओर से अभियोजन पदाधिकारी मदन मोहन दास ने कुल चार गवाहों की गवाही करायी.
आरोप है कि 20 मार्च 2000 को 7:00 बजे सुबह में ग्राम राजवाड़ा में ग्रामीण सूचक दशरथ राय और उनके भाई अशोक राय से मारपीट की तथा बनियत घड़ी चोरी कर ली. घटना की प्राथमिकी सूचक ने बरौनी थाना कांड संख्या 81/ 2000 के तहत दर्ज करायी थी.
आपराधिक मामले में दोषी
बेगूसराय. न्यायिक दंडाधिकारी रवि रंजन ने एक आपराधिक मामले में बरौनी थाने के राजवाड़ा निवासी दीपक सिंह और विक्रम राय को अंतर्गत धारा 323 और 379 भारतीय दंड विधान में दोषी घोषित किया एवं आरोपित दशरथ राय अशोक राय दिलीप राय कंचन राय को अंतर्गत धारा 323 भारतीय दंड विधान में दोषी घोषित किया. सभी घोषित दोषी को अपराधी परिवीक्षा अधिनियम की धारा 3 के तहत घटना की भर्त्सना करते हुए आरोपित को डांट फटकार कर रिहा कर दिया.
अभियोजन की ओर से अभियोजन पदाधिकारी मदन मोहन दास ने कुल चार गवाहों की गवाही करायी. आरोपित पर आरोप है कि 20 मार्च 2000 को 6:30 बजे सुबह में ग्राम राजवाड़ा में ग्रामीण सूचक सुबोध साह की बेटी आशा कुमारी चापाकल से पानी लेने गयी तो उसके साथ आरोपितों ने मारपीट की एवं घड़ी ले लिया. घटना की प्राथमिकी सूचक ने बरौनी थाना कांड संख्या 82/2000 के तहत दर्ज करायी है.

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