समस्या किसी को दो तो किसी को तीन पंचायतों की मिली है जिम्मेदारी, कई योजनाएं अधर में
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12 सचिवों के भरासे 25 पंचायतें
समस्या किसी को दो तो किसी को तीन पंचायतों की मिली है जिम्मेदारी, कई योजनाएं अधर में बेगूसराय : योजनाओं को धरातल पर उतारने के साथ विकास कार्यों को मूर्तरूप देने में ग्राम सचिवों की भूमिका अहम मानी जाती है. परंतु जिले के सबसे बड़े 25 पंचायत वाला सदर प्रखंड में पंचायत सचिवों का घोर […]
बेगूसराय : योजनाओं को धरातल पर उतारने के साथ विकास कार्यों को मूर्तरूप देने में ग्राम सचिवों की भूमिका अहम मानी जाती है. परंतु जिले के सबसे बड़े 25 पंचायत वाला सदर प्रखंड में पंचायत सचिवों का घोर अभाव है. सचिवों का टोटा रहने से पंचायतों में ‘विकास एक्सप्रेस’ थम गयी है. एक सचिव को दो या तीन पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है. हालात पर नजर डालें तो गांवों में सचिवों का दर्शन दुर्लभ हो गया है. कार्यों का निष्पादन कराने के लिए लोग कभी प्रखंड कार्यालय तो कभी मुखिया के दरबार में हाजिरी लगाने को विवश रहते हैं.
योजनाओं की कमान सचिव के जिम्मे: पंचायतों में संचालित योजनाओं में पहले संवेदक ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि हुआ करते थे. लेकिन नियम बदला और अब सचिव को संवेदक बनाये जाने लगा है. ऐसे में सचिवों पर कार्यों का दबाव बढ़ गया. मनरेगा व आवास छोड़ कर पंचायत के सभी कार्यों का निष्पादन व ऑडिट की जिम्मा सचिव ही रखते हैं.
इस कारण एक सचिव सही से एक पंचायत संभल नहीं पाता है. दो से तीन पंचायतों को संभालना टेढ़ी खीर साबित हो रही है.
पेंशन योजना की उलझन से उबर नहीं रहे सचिव :सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत पंचायतों में वृद्धावस्था पेंशन, विधवा, लक्ष्मीबाई, विकलांग आदि पेंशन योजनाओं के लाभुकों को पेंशन की राशि सीधे उनके खाते में भेजने की योजना सचिवों के लिए सिरदर्द बन चुका है. खाता को आधार कार्ड से लिंक कराने में पसीने छूट रहे. सचिवों की संख्या कम रहने से यह कार्य काफी धीमा चल रहा है. हालांकि कुछ पंचायतों में यह कार्य अंतिम चरण में है.
: सात निश्चय और पंचायत सचिव…
सरकार के सात निश्चय के कार्यों में भले ही पंचायत सचिवों को अलग रखा गया है. परंतु, निश्चय योजना के क्रियान्वयन के लिए वार्ड विकास समिति का गठन करना इनके जिम्मे दिये गये हैं. इतना ही नहीं, विकास समिति के खाते में राशि ट्रांसफर इनके द्वारा किया जाना है. सात निश्चय के लिए सदर प्रखंड में चौदह करोड़ रुपये आवंटित हैं. जो कुछ कारणवश लौटने के कगार पर है.
: वर्षों से नहीं आ रहे हैं एक सचिव
सूत्रों की मानें तो प्रखंड कार्यालय में एक पंचायत सचिव हैं जो विगत कई वर्षों से न प्रखंड आ रहे हैं न पंचायत पहुंच रहे हैं. ये सचिव हैं विजय कुमार सिंह. आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि योगदान देने के बाद एक माह तक आये. बाद में अपनी पहुंच-पैरवी के बल पर जिला पंचायती कार्यालय में प्रतिनियुक्त हुए तो आज तक जमे हैं. इस संबंध में वरीय अधिकारी को रिपोर्ट भी गयी है.
जनता से सीधे जुड़े सचिवों के कार्य
जानकारों की माने तो पंचायत में सचिव के बिना कोई काम संभव नहीं है. कबीर अत्यंष्टि योजना की राशि सचिव भुगतान कर सकते हैं. जन्म से लेकर मृत्यु प्रमाणपत्र निर्गत करने की जिम्मेदारी पंचायत सचिव की रहती है. जाति, आय, आवासीय प्रमाणपत्र के लिए आवेदनों को अभिप्रमाणित करने का दायित्व सचिव को रहता है. कन्या विवाह योजना के लिए आवेदन का सत्यापन सचिव के जिम्मे हैं. सचिवों के अभाव में जो कार्य एक घंटे में होना चाहिए, वह कार्य एक महीने में भी पूरी नहीं हो पाती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सीमित संसाधनों और कर्मियों की कर्मी के बाद विकास कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है. सचिवों की कमी के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जनवरी में दो सचिव बैद्यनाथ रजक व सत्यनारायण महतो रिटायर्ड करेंगे. इससे परेशानी और बढ़ सकती है.
रविशंकर कुमार, बीडीओ, बेगूसराय
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