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सिमरिया कल्पवास मेला में आस्था का सैलाब
परिक्रमा में उमड़ी भारी भीड़,भक्तिमय हुआ पूरा इलाका बीहट : कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी और धन्वंतरी जयंती के दिन मंगलवार को सिमरिया कल्पवास क्षेत्र की वृहत प्रथम परिक्रमा हुई. इस अवसर पर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी . जय प्रभु लीला धाम हरे, जय पावन सिमरिया धाम हरे गाते हजारों कल्पवासियों और श्रद्धालुओं ने […]
परिक्रमा में उमड़ी भारी भीड़,भक्तिमय हुआ पूरा इलाका
बीहट : कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी और धन्वंतरी जयंती के दिन मंगलवार को सिमरिया कल्पवास क्षेत्र की वृहत प्रथम परिक्रमा हुई. इस अवसर पर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी .
जय प्रभु लीला धाम हरे, जय पावन सिमरिया धाम हरे गाते हजारों कल्पवासियों और श्रद्धालुओं ने सर्वमंगला के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मनजी महाराज के सान्निध्य में सिमरिया धाम कल्पवास क्षेत्र की प्रथम वृहत परिक्रमा की. हाथी, ऊंट, घोड़े तथा गाजे-बाजे के साथ सर्वमंगला के ज्ञानमंच से निकले परिक्रमा जुलूस में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी.
इस अवसर परस्वामी चिदात्मनजी महाराज ने कहा कि यह मिथिला संस्कृति के उन्मेष की बेला है. परिक्रमा में प्रत्येक पग का अश्वमेघ यज्ञ सरीखा फल मिलता है. कुंभ का योग होने से इसका फल कई गुणा अधिक बढ़ गया है. उन्होंने परिक्रमा के सफल आयोजन व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन को साधुवाद दिया.
सर्वमंगला परिसर में हुआ ध्वजारोहण :कल्पवास मेला क्षेत्र के वृहत प्रथम परिक्रमा के उपरांत सर्वमंगला के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मनजी महाराज के सान्निध्य में सर्वमंगला परिसर में राष्ट्रध्वज, कुंभ ध्वज, इंद्रध्वज तथा हनुमत ध्वज का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विश्व कल्याण के निमित्त ध्वजारोहण किया गया.
इस मौके पर दिगंबर अखाड़ा के शिव राम दासजी,निर्मोही आखाड़ा के रंजीत दास, हनुमानगढ़ी के नंदराम दास जी, संकटमोचन हनुमान मंदिर महंत विध्यांचल दास, प्रयाग से माधवानंद, हरिद्वार से गंगानंद स्वामी प्रेमतीर्थ राम, हरिद्वार के हठयोगी बाबा, अंजनेश जी महाराज, पीठाधीश्वर रंजितेश, सुलभानंद, नागेंद्रानंद, ज्ञानानंद, संजयानंद, सत्यानंद, मीडिया प्रभारी नीलमणि, सर्वमंगला के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, सचिव राजकिशोर सिंह, दिनेश सिंह, बुद्धिनाथ मिश्र, प्रो पीके झा प्रेम, रवींद्र ब्रह्मचारी सहित अन्य उपस्थित थे.
ज्ञानमंच से निकले कल्पवास क्षेत्र की प्रथम वृहत परिक्रमा में निर्मोही अखाड़ा, दिगंबर अखाड़ा,निर्वाणी अखाड़ा, नागा साधु-संत, विश्व हिंदू परिषद, दांडी स्वामी सहित कई पीठों के पीठाधीश्वर शामिल थे.
स्वामी धर्मदास जी महाराज,हनुमानगढ़ी, अयोध्या:
बिहार आदिकाल से अध्यात्म का केंद्र रहा है. माता जानकी की यह धरती रत्नगर्भा है .कुंभ का आयोजन किसी व्यक्ति या अखाड़ा की बात नहीं है बल्कि भारत की विस्मृत संस्कृति के पुनर्जागरण की बेला है.
कुंभ के आयोजन से बिहार का यश पूरे देश में अपनी विजय पताका लहरायेगी. वहीं हनुमानगढ़ी के ही स्वामी महाबली ने कहा कि जगदगुरु कहलाने वाली भारत भूमि जाति, वर्णभेद के कारण सांस्कृतिक व अध्यात्म के क्षेत्र में पिछड़ रहा है.
महंत गजेद्र दास,जलगोविंद मठ,बाढ़ :अपने किये गये कर्मो का प्रायश्चित करना ही परिक्रमा का उद्येश्य है.परिक्रमा के अवसर पर हजारों की भीड़कुंभ के आयोजन की सार्थकता का प्रत्यक्ष गवाह है. महाकुंभ के द्वारा बिहार एक बार फिर ज्ञान और अध्यात्म की रोशनी से विश्व को प्रकाशित करेगा.
बनारसी बाबा उर्फ संगीताचार्य,बनारस
: यह युगसंघी की बेला है.आज चतुराई बढ़ गयी है और श्रद्धा घटती जा रही है. ऐसे काल में एकता और अखंडता का प्रतीक कुंभ का आयोजन निश्चित रूप से देश को गौरवान्वित करेगा.
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