लापरवाही. कैसे जगमग होगा शहर? बिजली रहने के बाद भी अंधेरे में डूबा रहता है
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रात में असुरक्षित हो जाते हैं शहर कई इलाके
लापरवाही. कैसे जगमग होगा शहर? बिजली रहने के बाद भी अंधेरे में डूबा रहता है लोगों में बनी रहती है दहशत बेगूसराय : किसी भी शहर से कोई यात्री वाहन गुजरते हैं, तब किसी-किसी खास शहर की सूरत यात्रा के दौरान लोगों के दिलों में बस जाया करती है. लोग पुन: मन में बसे शहर […]
लोगों में बनी रहती है दहशत
बेगूसराय : किसी भी शहर से कोई यात्री वाहन गुजरते हैं, तब किसी-किसी खास शहर की सूरत यात्रा के दौरान लोगों के दिलों में बस जाया करती है. लोग पुन: मन में बसे शहर में जाने की इच्छा पाले रहते हैं. शहर में जगह-जगह रात्रि में फैलती रोशनी से नहाती हुई शहर में बनी नक्काशीदार इमारतें लोग का मन मोह लेती हैं. यही कारण है कि शहर को अधिक-से-अधिक सुंदर बनाये रखने का प्रयास नगर निगम प्रशासन के द्वारा किया जाता है.
परंतु बेगूसराय जिले की पहचान बरौनी थर्मल पावर स्टेशन से होते हुए भी सिर्फ नगर निगम कर्मियों की लापरवाह कार्यशैली के कारण शहर की खुबसूरती तो दूर की बात बिजली भरपूर मौजूद रहने के बावजूद पूरा शहर अंधरे में डूबा रहता है.जबकि वर्ष 2015 में लाखों रुपये की लागत से बुडको के द्वारा शहर सौंदर्यीकरण के लिए प्रमुख क्षेत्रों में खंभे के साथ एलइडी लाइटों का जाल बिछाया गयाथा. पर आज उन प्रमुख स्थानों की बत्ती बुझ चुकी है और शहर अधेरे में है.
हर-हर महादेव चौक से पटेल चौक तक अंधेरा : हर-हर महादेव चौक से लेकर पिपरा मोड़ तक एलइडी बुझ चुकी है फिर इक्का- दुक्का ममता होटल के आसपास जलती है फिर जीडी काॅलेज तक स्ट्रीट लाइट जलती ही नहीं है. बगल के मीरगंज मुहल्ले की गली में भी अंधेरा पसरा रहता है. हालांकि कहीं-कहीं भूले भटके चौराहे या मोड़ पर लाइट दिख जाती है, परंतु वह शहर को रोशनी नहीं दिखा पाती.जबकि यह राष्ट्रीय उच्च पथ से शहर के बाजार को जोड़ने वाला प्रथम और प्रमुख मार्ग है, जो शहर के विभिन्न मोहल्ले से जुड़ता है.
ट्रैफिक चौक से आंबेडकर चौक की बत्ती हमेशा रहती है गुल : एनएच 31 से शहर के मध्य भाग को जोड़ने वाला यह मार्ग जितना दिन में चमकता नजर आता है, उसके विपरीत रात्रि में यह सड़क स्ट्रीट लाइट की जगह भवनों व दुकानों में लगी बत्ती से ही चमक पाती है. कहीं-कहीं भूल से स्ट्रीट लाइट भी दिख जाती है. इस सड़क पर एलइडी लाइटें लगायी गयी थीं मगर अब उसके खंभे ही दिख रहे हैं.
रेलवे ओवरब्रिज पर पसरा रहता है अंधेरा : रेलवे ओवरब्रिज को आरंभ हुए एक वर्ष से अधिक हो गया है. ब्रिज के एनएच-31 के पूर्वी मोड़ और पश्चिमी मोड़ तो रात्रि में अंधकार के कारण दिखाई भी नहीं पड़ता है. जबकि रेलवे के द्वारा पूरे ब्रिज पर दोनों किनारे 100 से अधिक लाइटें लगायी गयी थीं. काफी सुंदर दिखती थीं. पर आज स्थिति यह है कि अधिकतर लाइटें नहीं जलती हैं.अंधेरा रहने के कारण पूरा इलाका मध्य रात्रि में सुनसान व असुरक्षित हो जाता है.
अंधेरे में डूबा रहता है न्याय व प्रशासन मार्ग : आम लोगों की कौन कहे जिले के प्रमुख स्थान व्यवहार न्यायालय व समाहरणालय का चौहद्दी मार्ग भी रात्रि में अंधकार में डूबा रहता है.कचहरी चौक से कैंटीन चौक तक फिर नवाब चौक तक सिर्फ चौराहे पर कभी लाइट जलती है तो कभी बुझी रह जाती है.पूरी सड़क पर रोशनी की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से अंधेरा बना रहता है.
नगर थाने से लेकर विष्णुपुर तक समुचित रोशनी नहीं : उक्त मार्ग के बड़े भाग में एलइडी लाइटों का रख-रखाव ठीक से नहीं हो रहा है, जबकि इस मार्ग पर बुडको द्वारा खंभे व एलइडी लगाये थे. कुछ दिनों तक यह मार्ग जगमग दिखायी पड़ा, लेकिन रख-रखाव के अभाव में लगी लाइटें अब शोभा की वस्तु बन चुकी हैं.
अन्य गली- मोहल्ले में भी समुचित रोशनी का प्रबंध नहीं : रोशनी सिर्फ शहर को सुंदरता ही नहीं सुरक्षा भी प्रदान करती है. शहर के विभिन्न गलियों के मोड़ या चौराहे पर हल्का प्रकाश तो दिख जाता है, परंतु गलियों में मकानों की खिड़कियों से अलग कोई बेहतर रोशनी नहीं है.
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